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यह पुस्तक मेरी सहेली , जागरण सखी व दैनिक जागरण जैसी पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित कहानियों का संग्रह है । मैंने कविता और व्यंग्य की तुलना में कहानियाँ बहुत कम लिखी हैं । वैसे आजकल मैं अधिकांश समय मैं कहानी लेखन पर ही दे रहा हूँ ।
यह समय समय की बात है । किसी समय मुझे व्यंग्य लिखने में बहुत आनंद आता था और आजकल कहानियाँ लिखना मुझे प्रियकर लगने लगा है । पुन: इस कहानी संग्रह का प्रकाशन मित्रवर सुमन घई जी की ओर से , मुझे उपहार स्वरूप है । मैं सुमन जी को जितना धन्यवाद दूँ वह कम है । उन्होने मुझे प्रेरित न किया होता तो शायद मैं इस संग्रह के प्रति कभी गंभीर नहीं होता । प्रकाशित कहानियों में से कुछ मेरे सहेली द्वारा पुरस्कृत भी हैं । एक बात फिर लिखना चाहूँगा कि लेखन मेरे लिए एक सुखद अनुभूति है जिसके द्वारा मैं विभिन्न तरीकों से मानवीय विचार व भावनाओं को व्यक्त करने का प्रयास करता हूँ । मेरे पाठकों का स्नेह ही मुझे निरंतर लिखने के लिए प्रेरित करता है ।मैंने कभी भी पैसे के लिए नहीं लिखा है और न ही इस दृष्टि को ध्यान में रख कर कभी भी लिखूंगा । मैं एक मेल का जिक्र करना चाहूँगा जो मुझे मेरे सहेली के संपादक की ओर से प्राप्त हुआ था जिसमें लिखा था मेरी सहेली को हिन्दी की सर्वाधिक रीडरशिप वाली पारिवारिक बनाने में आपके योगदान के लिए हम आभार व्यक्त करते हैं । ऐसी घटनाओं पर हिन्दी पाठक कभी ध्यान नहीं देते और जब इसे ही बेस्ट सेलर लिख कर कोई कहता है 4 मिलियन कापीज़ सोल्ड तो लगता है कि अग्रेजी की किसी पुस्तक ने तीर मार लिया है ।
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इसको पढ़ने के बाद मेरे मन में
यही विचार आता है कि मुरली श्रीवास्तव की संवेदनात्मक लेखनी की स्याही का रंग समय के साथ गहरा हो गया है। व्यक्ति
की मानसिकता की समझ और उसकी अभिव्यक्ति की सफलता इस कहानी संकलन को एक अलग श्रेणी में खड़ा कर देती
है। मुरली श्रीवास्तव जिस परिवेश में जीते हैं, उसी को लिखते हैं। इस संकलन की सारी कहानियाँ आज की हैं, बीते हुए
कल की नहीं।
- सुमन कुमार घई,
सह-संस्थापक निदेशक हिन्दी राइटर्स गिल्ड
संपादक एवं प्रकाशक sahityakunj.net
मिसिसागा, कैनेडा
जीवन को बदल देने वाली कहानियाँ
सोन चिरईया , पार्वती , मेला , कौन सी कहानी ऐसी है जिसे पढ़ने के बाद आँखें न भर आई हों ।
एक से बढ़ कर एक दिल छूती कहानियाँ । सचमुच मुश्किल से मिलती हैं सार्थक कहानियाँ आज के जमाने में ।
एक संग्रहणीय पुस्तक ।