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गुरू गूगल दोऊ खड़े

राष्ट्रीय पत्रों में प्रकाशित व्यंग्य
मुरली श्रीवास्तव
Type: Print Book
Genre: Literature & Fiction
Language: Hindi
Price: ₹300 + shipping
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Description

यह पुस्तक मेरे लेखकीय जीवन में विशेष महत्व रखती है । मैं 25 वर्षों से लगातार लिख रहा था और नवभारत टाईम्स , राष्ट्रीय सहारा , अमर उजाला, हिंदुस्तान दैनिक सहित विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में व्यंग्य प्रकाशित हो रहे थे । रचनाएँ लोकप्रिय होती जा रही थीं , मैं सभी पत्रों के संपादक मण्डल का जितना भी धन्यवाद दूं वह कम है । चाहे वह अमर उजाला के श्री कल्लोल चक्रवर्ती हों , नव भारत टाईम्स के श्री गोविंद सिंह , बाल मुकुन्द या संजय कुन्दन लेकिन समय का फेर कि पुस्तक के रूप में मेरी कविता की पुस्तकें प्रकाशित हो रही थीं । पहली हिन्दी अकादमी दिल्ली से सत्य जीतता है और दूसरी "संभावना" । मैं व्यंग्य की पुस्तक के प्रकाशन के लिए प्रयासरत थी लेकिन यह संभव नहीं हो पा रहा था ।
संभावना को जब प्रांजल धर की लेखनी ने दैनिक जागरण में वर्ष की श्रेष्ठ साहित्यिक कृतियों में शामिल किया तो यह मेरे लिए एक बहुत बड़ी आत्मिक संतुष्टि का क्षण था । लेकिन इसी पुस्तक की ई कापी जब अपने मित्र सुमन जी को भेजी और उन्होने मुझे पुस्तक बाजार पर अपनी पुस्तक प्रकाशित करने के विषय में बताया तो वह क्षण मेरे लिए लेखन में संभावनाओ के द्वार खोलेने वाला क्षण था ।
एक लंबी प्रक्रिया के बाद PustakBazaar.com कनाडा से गुरू गूगल दोऊ खड़े का प्रकाशित होना मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं था । इसके पश्चात लेखन में निरंतर मिल रही सफलता ने मुझे नई राह दिखा दी । मैं इस पुस्तक के लिए आदरणीय सुमन जी का सदैव आभारी रहूँगा ।
इस पुस्तक के बाद मैंने अपनी रचनाएँ किंडल पर लोड करनी शुरू कीं और वे लगातार पुस्तक के रूप में छपने लगीं । मेरे लिए सब से सुखद क्षण वह रहा जब मेरे पुस्तक "संभावना" का अग्रेजी अनुवाद पेपर बैक में किंडल से प्रकाशित हुआ ।
हम लोगों ने साहित्य का प्रवाह बस एक दिशा में देखा है अर्थात अधिकांश साहित्य अग्रेजी से हिन्दी में अनूदित हो कर पाठकों तक आता है और हम उसकी प्रशंसा करते हैं । यह मैं अपने साथ एक नई घटना के रूप में देख रहा हूँ की मेरे सभी पुस्तकें हिन्दी से अग्रेजी में ट्रांस्लेट हो रही हैं और वे सराही जा रही हैं विश्व भर में पढ़ी जा रही हैं ।
अभी बस एक वर्ष में मेरी लगभग 500 पुस्तकें इन्टरनेट पर डाऊन लोड हुई हैं ।
जीवन में कभी भी मैंने पैसे के लिए नहीं लिखा है । लिखना मुझे आत्मसंतुष्टी प्रदान करता है बस इसीलिए लिखता चला जाता हूँ । मेरे लिए अपने प्रशंसकों के शब्द , उनकी सराहना और लगातार मुझसे बेहतर रचना की अपेक्षा ही मेरे जीवन की संजीवनी है । यह लिस्ट इतनी बड़ी है कि चाह कर भी मैं सभी नाम नहीं लिख सकूँगा । हाँ इतना ही कहूँगा कि मैं हृदय से अपने पाठकों का आभारी हूँ जिनका अपार स्नेह मुझे मिला है । यह उनके ही स्नेह का परिणाम है कि मैं अपने सभी कार्य को पुस्तक रूप प्रदान करते हुये पेपर बैक पर स्वरूप में ला रहा हूँ । पोथी का आभार दिये बिना मेरी बात अधूरी रहेगी ।
पुस्तक की सभी रचनाएँ पहले ही विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित है इन्हें एक ही स्थान पर पढ़ना निश्चय ही मेरे स्नेही पाठकों के लिए एक सुखद अनुभव होगा ऐसा मेरा विश्वास है । इन्हीं शब्दों के साथ सादर

About the Author

नाम: मुरली मनोहर श्रीवास्तव
पिता का नाम: श्री विजय कुमार श्रीवास्तव ( लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार इलाहाबाद)
जन्मस्थान: इलाहाबाद
अध्ययन : बी.ई. मैकेनिकल इंजीनियरिंग (जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली से)
प्रकाशन : नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान दैनिक, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, नई
दुनिया, मेरे सहेली, जागरण सखी सहित विभिन्न दैनिक व पत्रिका में एक हज़ार से अधिक रचनाएँ
प्रकाशित तथा निरंतर प्रकाशन जारी है।
अभी तक लिखी कहानियाँ मेरी सहेली, जागरण सखी व दैनिक जागरण जैसी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।
व्यंग्य लेखक के रूप में विशिष्ट पहचान हिन्दी की सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। अमर उजाला व राष्ट्रीय सहारा
में नियमित कॉलम।
पुस्तकें :1. सत्य जीतता है (हिन्दी अकादमी दिल्ली से प्रकाशित),
2. सम्भावना (साहित्य वीथी दिल्ली से प्रकाशित, वर्ष -2017 फ़्लिप कार्ट व अमेज़न दोनों पर उपलब्ध)

ई-पुस्तक : 1. Posibility ( English translation of Sambhavana By Deepak Danish ) on kindle
2. सत्य जीतता है e book on kindle
3. मांगने का हुनर दो कहानिया 3 व्यंग्य 7 कविताए – e book on kindle
4 . गुरु गूगल दोऊ खड़े pustakbazaar.com द्वारा प्रकाशित
5 . क्षमा करना पार्वती pustakbazaar.com द्वारा प्रकाशित
6 . सत्य जीतता है ( हिन्दी अकादमी दिल्ली से )
7. संभावना - रचना प्रकाशन दिल्ली से – अमेज़न व फ्लिप कार्ट पर उपलब्ध
संप्रति : हर समय कुछ करते रहने की इच्छा का बने रहना ही मुझे जीवन जीने की उर्जा प्रदान करता है।
वर्तमान में एन टी पी सी में वरिष्ठ प्रबन्धक के पद पर कार्यरत

Book Details

ISBN: 9781988658155
Publisher: info@pustakbazar.com
Number of Pages: 169
Dimensions: 5"x8"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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गुरू गूगल दोऊ खड़े

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Murli Srivastava 3 years ago Verified Buyer

गुरू गूगल हा हा हा क्या बात है

मजा आ गया पढ़ कर एक से एक व्यंग्य ।
मुद्दत बाद स्तरीय हास्य पढ़ने को मिला ।
किताब दिल को गुदगुदा गई । फेसबुकिया लफड़े , आफिस रस और हाय रे एक छुट्टी ने हंसा हंसा के पागल कर दिया कई बार पढ़ा इन्हें मैंने ।

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