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मुझे गर्व है कि किंडल पर ई बुक के रूप में प्रकाशित होंने के एक वर्ष के भीतर यह पुस्तक किंडल द्वारा पापुलर ई बुक कैटेगरी में चुनी गई - 27 अप्रैल से 3 मई 2020 । मैं अपने सभी पाठकों को इसके लिए हृदय से धन्यवाद देता हूँ ।
आज कविता हर जगह संघर्ष करती प्रतीत होती है । वर्तमान युग के पाठक कविता पढ़ना एक कष्टकर कार्य समझते हैं । उन्हें कविता के भीतर से कुछ मिल पाने की आशा बहुत कम होती है । ऐसा सामान्यतः कविता के फ्रेमवर्क बौद्धिक व भावनात्मक धरातल पर दुरूहता या कभी कभी पाठक की रचना के साथ साम्यता के अभाव में होता है । इसके विपरीत मैं अपने कुछ पाठकों के विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ जिन्होने मेरी रचनाएँ पढ़ी और अपनी प्रातिक्रिया प्रदान की । मैं अपने सभी प्रशंसकों का हृदय से आभार भी व्यक्त करता हूँ और प्रातिक्रिया प्रदान करने के लिए उन्हें धन्यवाद भी देता हूँ । कुछ प्रतिक्रियाएँ ---
मुरली भाई, हमें गर्व है कि हम तुम्हारे मित्र हैं - गौतम भट्टाचार्या - सन 1985 में IIT से निकले हुये विद्यार्थी व वर्तमान में विभिन्न देशों में अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहे मेरे मित्र ।
मुरली भाई पूरी किताब आरम्भ से अन्त तक बहुत ही दिलचस्प है । आपको बहुत बहुत बधाईया राजेश एक सहृदय पाठक
Bhanu : Murli, it's great stuff... Read thru few pages am really impressed... You are so talented... Proud of you brother..
मुरली भाई पूरी पुस्तक नहीं पढ़ सके किन्तु 'गुरु गूगल दोउ खड़े' पढ़ा, हरि शंकर परसाई याद गाये। इतने खूबसूरत व्यंग संग्रह के प्रकाशन पर बहुत बधाई। - राजीव भट्ट मित्र व पाठक
Ram Krishna Mukharjee : I heard about this book from one of my friend...he did recommended..thanks dear...nothing better than the author presenting the opportunity ....wonderful to know more about you.. पर्यावरण विशेषज्ञ
सचमुच पढ़ने लायक पुस्तक है
पुस्तक की कवितायें लीक से हट कर हैं । कहीं भी पढ़ते समय यह नहीं लगता कि पुरानी स्टाईल की कोई बात पढ़ रहे हैं । किसी ताजे हवा के झोकें सी है पुस्तक ।
पढ़ कर समझ आया कि ई बुक के पापुलर कैटेगरी में किताब को स्थान क्यों मिला । दिल के भीतर गहराई तक उतरने वाली रचनाएँ ।