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जयतु जानकी उपन्यास जानकीक प्रति मिथिलावासीक सिनेहक अभिव्यक्ति अछि। एहि उपन्यासमे जानकीक विपत्ति गाथा आ राजारामक हुनकर प्रति समर्पणकेँ बहुत नीकसँ उल्लेखित कएल गेल अछि। घोर अनिच्छापूर्वक राजा राम जानकीकेँ वनवासक निर्णय स्थानीय जनताक मनोभाव आ इच्छाक अनुसार लेने रहथि। मुदा सौंसे जिनगी ताहि कारण कष्ट भोगलनि। अंततोगत्वा ,ओ अपन संतान,लव-कुसकेँ स्वीकार केलनि। मुदा जानकी पृथ्वी माताक शरणमे चलि गेलीह,नहि रहि सकलीह ओहि अयोध्यामे जे हुनकर अपमानक साक्षी बनल छल।
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