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शहर की चकाचौंध में पली-बढ़ी चाँदनी की ज़िंदगी अचानक बदल जाती है,
जब उसकी शादी देहात के एक सादे-से गाँव में हो जाती है —
वहाँ की सादगी उसे बाँध नहीं पाती और वह वापस लौट आती है उस चमक-दमक भरी नगरी में, जहाँ उसका दिल बसता था।
लेकिन शहर लौटकर उसे शांति नहीं मिलती।
सपनों के पीछे भागती-भागती वह रिश्तों से दूर होती जाती है।
तभी उसकी राह में आता है सूरज — चालाक, मोहक और रहस्यमयी —
जो उसे और गहरे अंधेरों में खींच ले जाता है।
क्या चाँदनी खुद को सँभाल पाएगी, या शहर की चमक और सूरज का छल उसे डुबो देगा?
प्रेम, दर्द और मानवीय उलझनों से भरी इस कहानी में जानिए —
‘चाँद, चाँदनी और तारा’ की अनकही दास्तान।
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