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ये पराधीन भारत के जेल जीवन की ऐसी मार्मिक और सच्ची कहानियाँ हैं जो विरले ही हमें पढ़ने को मिलती हैं। राधेश्याम मिश्र ने कई वर्षों तक जेल में एक साधारण कैदी की तरह निकृष्ट व्यवहार और अत्याचार सहे। व्यापक समाज के साथ उन अनुभवों को साझा करने के उद्देश्य से उन्होंने ये कहानियाँ लिखी हैं जो निस्संदेह, पाठक के मन-मस्तिष्क को प्रभावित करेंगी।
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