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पंडित जगन्नाथ शुक्ल, एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार, जिन्होंने हिंदी रंगमंच, रेडियो और भोजपुरी सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ी। अपने जीवनकाल में ही वे एक बड़ा नाम बन गए थे, जिनकी कलात्मक प्रतिभा और कला के प्रति अटूट समर्पण ने उन्हें हर मंच पर अमर कर दिया। पटना के रंगमंचों से शुरू हुआ उनका सफर, रेडियो की लहरों पर गूंजने लगा और अंततः सिनेमा के पर्दे पर जाकर अपनी चमक बिखेरने लगा। उनके अद्भुत प्रदर्शन, दिशानिर्देशन और मधुर आवाज ने हर दर्शक को मंत्रमुग्ध कर दिया। शुक्ल जी का प्रभाव हर जगह छाया रहा। आज भी, उनकी कलात्मक प्रतिभा और कला के प्रति अटूट समर्पण विद्वानों और लेखकों को उनकी जीवन यात्रा का अध्ययन करने के लिए प्रेरित करता है।
बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के, मात्र 6 वर्ष की आयु में भक्त प्रह्लाद की भूमिका निभाकर जगन्नाथ शुक्ल का नाटकीय सफर शुरू हुआ। उन्होंने पारसी थियेटर की...
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