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काजल और अंजन के द्वारा नेत्रों में श्यामता ,विशालता एवं प्रभावपूर्ण कटाक्ष उत्पन्न किया जाता है |
इसी शब्द पर आधारित है यह कविता संग्रह ‘अंजन' कुछ दिल से….
यह संग्रह जीवन,आत्म-विस्वास ,जिंदगी ,प्यार ,बेवफा,दोस्त,गाव,यादें,धोखा और आस जैसे बिन्दुओं आधारित है | अधिकाँश रचनाये बाकी रचनाकारों की तरह इश्क परस्त हैं इसलिए उनमें आपको यादें, रातें, नींद, ख्वाब, तनहाई, अँधेरा, उदासी तो मिलेंगी ही साथ ही ज़माने के बारे में भी विचार देखने को मिलेंगे!
सोचते है जाने से पहले लोगो की सोच बदल जाये,
जिंदगी के किस्तों का हिसाब हम भी रखते है |
हम वो नही जो वक्त के साथ, अपने रिश्ते बदल जाये ,
दिल से रिश्तो को निभाने का रिवाज हम भी रखते है ||
बेवफाई और गम हर इन्सान का अभिन्न अंग रहा है
सब कुछ था लाश में बिना दिल के
शायद जीवन भी प्यार में कम गया
बिछड़ने का आँखों में अहसास था
अंजन वो जब दूर गया नम गया
रचनाकार ने अपने अनुभवों को,अपमी संवेदनाओ को और अपने मन की कसक को बड़ी सहजता के साथ व्यक्त करने की कोशिश की है,
हम पर तिरछी नजर रहती है सबकी
क्यों डरे, हम थोड़े किसी की जागीर हैं
थोडा ही लिख पाते है और क्या करें
हम अंजन हैं ,थोड़े ना कोई मीर हैं
सरल,सहज भाषा में लिखी गई पंक्तियाँ हर किसी के दिल को छूने की कोशिश करती हैं |
सब कुछ था लाश में बिना दिल के
शायद जीवन भी प्यार में कम गया
बिछड़ने का आँखों में अहसास था
अंजन वो जब दूर गया नम गया
awsm saying...........
every line say something about your life,love,emotions ,frndship.............................................every thing in this book..............
The Book is really excellent from the Cover to last page.
Various situations and incidence of life are well explained in simplified words.
Congrats...for this great work !
&
Best wishes for the future creativity !
Regards,
Abhijeet Lutade
उनकी आँखों से काश कोई इशारा तो होता
कुछ मेरे जीने का सहारा तो होता
तोड़ देते हम हर रस्म ज़माने की
एक बार ही सही उसने "अंजन " पुकारा तो होता !!
must read @@@ANJAN kuch dil se.....!!
ऋषिकेश पाण्डेय )
Re: अंजन
Aao ek sataranj bichaye, phir se ek sapna sajaye
phir na ude koi parinda, aisa ek angana banaye
Dosti-yaari, duniya-daari, ab hum samaj chuke hai
main kya hu kya hovunga, chalo apne ko samjae
Jo na tha apna kabhi, na hoga apna kabhi
nahi aayega lotkar kabhi, chalo usko bhul jaye
Lad raha tha jamane se, ab apne se ladna hoga
zazzbat kuch naye laye, naye sapno ki kopal sajaye
Main chala ja raha tha, jivan ke gud ko bina khaye
rishte jo tut gaye hai, unhe ek baar phir se manaaye
Soo raha tha kab se, ab madhur nind se khud ko jagaaye
sapne jo piche chut gaye hai unhe ek baar phir se sajaye
Dost kahta tha khud ko, par muje padh na saka
"Anjan" kuch aisa likh ki sare jamane ko padhaya jaye