You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
पुस्तक परिचय –
संगीत जीवन की शिराओं में झंकृत करता हुआ एक मनोहर सम्मोहन है जो बरबस ही श्रोता एवं पाठक को खींचता है। करुणा को मात्र ध्वनि और नाद से मूर्त रूप देने का कार्य 'तंत्र' से ही पूर्ण संभव हुआ है। वाद्य संगीत की आर्ष परंपरा न जाने जीवन के कितने संदर्भों से जुड़ी है। माध्यम एवं अभिव्यक्ति सदैव से ही कला के अभिन्न द्विपक्ष रहे हैं। बहुधा दोनों पक्ष एक दूसरे को प्रभावित भी करते हैं। स्वर तथा लय के स्वच्छंन्द एवं प्रभावपूर्ण प्रयोग द्वारा यह अनुगूँज वाद्य संगीत में देखा जाता है। वाद्य संगीत में केवल स्वर तथा लय माध्यम होते हैं। तब आवश्यकता होती है ऐसे अंतर्नाद की जहाँ पर शब्द नहीं, केवल वाद्य जनित ‘तत् अनुगूँज’ होता हो। अभिव्यक्ति को सार्थक एवं अर्थ परक बनाने हेतु वाद्यों के द्वारा अपने भावों को व्यक्त करने के लिए उनके वैज्ञानिक तत्वों को समझना आवश्यक हो जाता है। वाद्य वादन की इस गूढ़ता को सरलतम बनाने हेतु इस पुस्तक में संगीत शास्त्र के साथ-साथ सितार वाद्य वादन विधि का व्यवस्थित क्रम दिया गया है जिससे विद्यार्थी पढ़कर समझ कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आज जब भारतीय संगीत के हितग्राही विश्व में कहीं भी हो सकते हैं, उन तत्कालीन उत्प्रेरकों के बीच संगीत की शाश्वत निरंतरता उन तक पहुँचाने के प्रयास स्वरूप इस पुस्तक की परिकल्पना की गई है।
tat Anugoonj
this is unique book of Classical Music, student, professional can use this book