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वो भूला हुआ अध्याय

संतोष कुमार
Type: Print Book
Genre: Poetry
Language: Hindi
Price: ₹219 + shipping
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Description

कहते है कि साहित्य समाज का दर्पण भी है, आत्मा का मंथन भी है, मानस पटल का चिंतन भी है और शब्दों का सृजन भी है। मेरी कविताएं सिर्फ रचना न होकर मेरी आत्मा तक झांकने का साधन भी है। जिस तरह जीवन बदलता है, सोच बदलती है, उसी तरह कविता भी बदलती है, कविता कहने का ढंग भी बदलता है। प्रस्तुत रचना में संकलित कविताएं अलग-अलग कालखंड में अलग अलग मनः स्थिति लिखी गई है। कभी हर्ष में कभी विषाद में, कभी उन्माद में कभी अवसाद में। इन रचनाओं की सार्थकता इसी में है कि इन्हें पढ़ने वाला उन मनोभावों को समझ सके जिन्होंने इन कविताओं को प्रेरणा प्रदान की।

ये कविताएं आपके सम्मुख आ रही है इसके लिए बहुत लोगों का आभारी हूं। मेरी पत्नी राधा गुप्ता जो मेरी रचना की संपादक भी रहती है, मेरे परिवार के लोग, मित्र और संपादक मंडल सब इस रचना के लिए उत्तरदायी है। आशा है कि ये रचना कुछ लोगों तक अवश्य पहुंचेगी।

About the Author

साहित्य — आत्मा का आईना"कहते हैं, साहित्य केवल समाज का दर्पण नहीं, आत्मा का मंथन और मानस पटल का चिंतन भी है।"
मेरी कविताएं सिर्फ शब्दों का सृजन नहीं, बल्कि मेरे अंतर्मन की यात्रा का दस्तावेज़ हैं। जीवन की तरह कविताएं भी समय के साथ बदलती हैं — भावनाओं के रंगों में ढलती हैं। कभी उल्लास में, कभी अवसाद में, कभी प्रेम में, कभी पीड़ा में — हर कविता एक अलग मनःस्थिति की कहानी कहती है।
प्रस्तुत संग्रह में संकलित कविताएं विभिन्न कालखंडों की सजीव अभिव्यक्तियाँ हैं, जिन्हें पढ़ते समय आप उन भावनाओं के करीब आ सकते हैं जिन्होंने इन रचनाओं को जन्म दिया।
इस संग्रह के प्रकाश में आने के लिए मैं अनेक लोगों का ऋणी हूँ — मेरी पत्नी राधा गुप्ता, जो मेरी रचनाओं की पहली संपादक और आलोचक रही हैं, मेरा परिवार, मेरे मित्रगण और संपादक मंडल — जिनकी प्रेरणा और सहयोग से यह संभव हो सका।
आशा है, ये कविताएं आपके हृदय को स्पर्श करेंगी और आपकी संवेदनाओं से संवाद करेंगी।
- संतोष कुमार

Book Details

ISBN: 9788198705266
Publisher: Sjain Publication
Number of Pages: 125
Dimensions: 5.50"x8.50"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

Ratings & Reviews

वो भूला हुआ अध्याय

वो भूला हुआ अध्याय

(5.00 out of 5)

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1 Customer Review

Showing 1 out of 1
Neha Rani 7 months, 3 weeks ago

Loved the poems

All poems are quite meaningful...some more than others..some of them are really relevant in today's time... I would say very thoughtful of writer

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