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कहते है कि साहित्य समाज का दर्पण भी है, आत्मा का मंथन भी है, मानस पटल का चिंतन भी है और शब्दों का सृजन भी है। मेरी कविताएं सिर्फ रचना न होकर मेरी आत्मा तक झांकने का साधन भी है। जिस तरह जीवन बदलता है, सोच बदलती है, उसी तरह कविता भी बदलती है, कविता कहने का ढंग भी बदलता है। प्रस्तुत रचना में संकलित कविताएं अलग-अलग कालखंड में अलग अलग मनः स्थिति लिखी गई है। कभी हर्ष में कभी विषाद में, कभी उन्माद में कभी अवसाद में। इन रचनाओं की सार्थकता इसी में है कि इन्हें पढ़ने वाला उन मनोभावों को समझ सके जिन्होंने इन कविताओं को प्रेरणा प्रदान की।
ये कविताएं आपके सम्मुख आ रही है इसके लिए बहुत लोगों का आभारी हूं। मेरी पत्नी राधा गुप्ता जो मेरी रचना की संपादक भी रहती है, मेरे परिवार के लोग, मित्र और संपादक मंडल सब इस रचना के लिए उत्तरदायी है। आशा है कि ये रचना कुछ लोगों तक अवश्य पहुंचेगी।
Loved the poems
All poems are quite meaningful...some more than others..some of them are really relevant in today's time... I would say very thoughtful of writer