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"जवाब नहीं, सवाल है।"
संतोष श्री गौड़
Type: Print Book
Genre: Philosophy
Language: Hindi
Price: ₹218 + shipping
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Description

निष्कर्ष : स्वयं की चुप्पी में सत्य पूरी पुस्तक एक ही प्रश्न पूछ रही है, आप कौन हैं? हमने हमारी हर पहचान, आपकी दौड़, आपकी ख़ुशी की परिभाषा, आपके डर, यहाँ तक कि आपके जीवन और मृत्यु की सच्चाई को चुनौती दी। हमने यह जानने की कोशिश की, कि आप जिस ब्रह्माण्ड को देखते हैं, वह आपकी कल्पना है, या आप उस ब्रह्माण्ड की कल्पना हैं। इस लंबी दार्शनिक दौड़ के बाद, हम एक चौराहे पर आकर खड़े हैं, जहाँ कोई सड़क आगे नहीं जाती। सत्य कोई ऐसी मंज़िल नहीं है, जिसे पैसे या सफलता से खरीदा जा सके (जैसा कि हमने "आप क्यों दौड़ रहे हैं?" में पूछा था), न ही यह कोई परिभाषा थी जिसे शब्दों में बाँधा जा सके (जैसा कि हमने "सत्य क्या है?" में पूछा)। सत्य वह पल है, जब ढूंढने वाला रुक जाता है। सवालों का अंत और भ्रम की उपयोगिता : हमने अपनी यात्रा "तुम कौन हो?" से शुरू की और पाया कि हमारी पहचान किसी और की राय पर टिकी हुई है। हमने पूछा "क्या यह दुनिया हमारा भ्रम है?" और पाया कि हमारा मस्तिष्क एक ऐसा फ़िल्टर है, जो वास्तविकता को वैसा दिखाता है, जैसा आप देखना चाहते हैं, न कि जैसा वह है। ज़िंदा होने का असली प्रमाण : हमने पूछा "क्या तुम सच में ज़िंदा हो?"। ज़िंदा होने का प्रमाण दिल की धड़कन नहीं है, बल्कि होश की धड़कन है। आपकी अधिकांश ज़िंदगी एक ऑटोपायलट पर जी गई 'मृत्यु' थी, क्योंकि हम अपने हर कर्म के प्रति जागरूक नहीं थे। यह दौड़ इसलिए ज़रूरी थी : यह भ्रम की दुनिया (The Illusion), जिसे आपने शायद खुद ही बनाया था ("क्या हमने ब्रह्माण्ड बनाया?"), वह कोई दुश्मन नहीं है। > भ्रम आपका शिक्षक है।

About the Author

लेखक के बारे में (About the Author) [संतोष श्री गौड़ (मालवीय)] यह पुस्तक उस व्यक्ति ने नहीं लिखी जिसने जीवन की हर दौड़ जीत ली हो, बल्कि उस व्यक्ति ने लिखी है, जिसने दौड़ना बंद कर दिया। [संतोष श्री गौड़] एक पारंपरिक पृष्ठभूमि से आते हैं—ठीक आपकी तरह। इन्होंने भी उस सफलता की तलाश में लंबी दौड़ लगाई, जिसे समाज 'खुशी' कहता है। शिक्षा, करियर, और सामाजिक उम्मीदों की इस दौड़ में, उन्होंने भी एक बार खुद से वह सवाल पूछा जो आपने इस किताब को उठाकर पूछा: "क्या मैं सच में ज़िंदा हूँ?" यहीं से उनकी असली यात्रा शुरू हुई। यह पुस्तक किसी स्वर्ग से आए ज्ञान का दावा नहीं करती। यह उन संदेहों का परिणाम है जो लेखक के मन में हर रूढ़िवादी सोच (conventional belief) को देखकर उठे। लेखक का मानना है कि हर इंसान एक दार्शनिक है, और हर रोज़ की ज़िंदगी एक गहरा सवाल है। उनकी प्रेरणा किसी महान गुरु या प्राचीन ग्रंथ से नहीं, बल्कि उस अंदरूनी ख़ामोशी से आती है, जिसे हम सब अपनी दौड़ के शोर में दबा देते हैं। लेखक का लक्ष्य आपको जवाब देना नहीं है, बल्कि आपको उस डर से मुक्त करना है जिसने आपको सवाल पूछने से रोक रखा था। आज [लेखक संतोष श्री गौड़] खुद को एक स्थायी विद्यार्थी और प्रश्नकर्ता मानते हैं—एक ऐसे साक्षी जो जीवन के नाटक को देखते हैं, पर उसमें खोते नहीं। यदि इस पुस्तक ने आपको असुविधा महसूस कराई है, तो जान लीजिए कि लेखक का उद्देश्य सफल हुआ है। आप [संतोष श्री गौड़] से यहाँ जुड़ सकते हैं: ईमेल: santoshmalviya749@gmail.com

Book Details

ISBN: 9789334424256
Publisher: Santosh ShreeGoud
Number of Pages: 106
Dimensions: 5"x8"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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