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उपन्यास "वैमत्य" एक भारतीय परिवार की विवशताओं, रिश्तों में व्याप्त मतभेद, तनाव, स्वार्थ की नियति का सजीव चित्रण है। लेखिका संस्कृति सिंह निरंजन ने रिश्तों में व्याप्त ईर्ष्या को बहुत ही सटीकता से चित्रित किया है। उपन्यास में दो भाइयों के बीच मतभेद, परिवार के शोषण, और सामाजिक दबाव के कारण रिश्तों में टूटने का चित्रण किया गया है।
उपन्यास के पात्रों में चीरंजीव बाबू, जो अपने परिवार के प्रति जिम्मेदार होने की कोशिश करता है, लेकिन उसके प्रयास व्यर्थ हो जाते हैं। ऋषिकांत, चीरंजीव का अनुज भ्राता, जो अपने स्वार्थ के लिए अपने परिवार का शोषण करता है। जगतराज और नरेंद्र, दो कपटी और स्वार्थी व्यक्ति, जो चीरंजीव और ऋषिकांत के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश करते हैं।
उपन्यास "वैमत्य" एक भारतीय परिवार की विवशताओं, रिश्तों में व्याप्त मतभेद, तनाव, स्वार्थ की नियति का सजीव चित्रण है। लेखिका संस्कृति सिंह निरंजन ने रिश्तों में व्याप्त ईर्ष्या,...
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