Description
उपन्यास "वैमत्य" एक भारतीय परिवार की विवशताओं, रिश्तों में व्याप्त मतभेद, तनाव, स्वार्थ की नियति का सजीव चित्रण है। लेखिका संस्कृति सिंह निरंजन ने रिश्तों में व्याप्त ईर्ष्या को बहुत ही सटीकता से चित्रित किया है। उपन्यास में दो भाइयों के बीच मतभेद, परिवार के शोषण, और सामाजिक दबाव के कारण रिश्तों में टूटने का चित्रण किया गया है।
उपन्यास के पात्रों में चीरंजीव बाबू, जो अपने परिवार के प्रति जिम्मेदार होने की कोशिश करता है, लेकिन उसके प्रयास व्यर्थ हो जाते हैं। ऋषिकांत, चीरंजीव का अनुज भ्राता, जो अपने स्वार्थ के लिए अपने परिवार का शोषण करता है। जगतराज और नरेंद्र, दो कपटी और स्वार्थी व्यक्ति, जो चीरंजीव और ऋषिकांत के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश करते हैं।
उपन्यास "वैमत्य" एक भारतीय परिवार की विवशताओं, रिश्तों में व्याप्त मतभेद, तनाव, स्वार्थ की नियति का सजीव चित्रण है। लेखिका संस्कृति सिंह निरंजन ने रिश्तों में व्याप्त ईर्ष्या, स्वार्थ, और मतभेद को बहुत ही सटीकता से चित्रित किया है।
उपन्यास के पात्र चीरंजीव बाबू, ऋषिकांत, जगतराज, और नरेंद्र के माध्यम से परिवार के शोषण, सामाजिक दबाव, और रिश्तों में टूटने का चित्रण किया गया है। उपन्यास का संदेश यह है कि हमें अपने निर्णयों को सोच-समझकर लेना चाहिए और हमें अपने रिश्तों को समझना चाहिए। हमें अपने परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए और हमें अपने निर्णयों के परिणामों को समझना चाहिए।
संस्कृति सिंह निरंजन का जन्म बुंदेलखंड के एक छोटे से गाँव भदरवारा खुर्द में हुआ था, आपके पिता का नाम लाल सिंह है तथा आपकी माता का नाम ऊषा सिंह हैं| आप अपने घर की सबसे छोटी दुहिता हैं आप सदैव अपनी दोनों अग्रजाओं के साये में बड़ी हुई, कदाचित इसलिए आप दूसरे के अनुभवों से सीखने का समर्थन करती हैं| आपने अपनी पढ़ाई उत्तर प्रदेश की राजधानी के सर्वश्रेष्ठ विद्यालय से पूर्ण की| स्नातक में मनोविज्ञान होने के कारण आप मनुष्यो के मन के भेद को पहचानने में सक्षम रही हैं|
समाज में दम तोड़ती भावनाओं एवं मर्यादा तोड़ते रिश्तों को जब आपने देखा तो आपका मन विचलित हो गया, यह सोच कर कि किस प्रकार ईश्वर की सबसे उत्तम रचना मनुष्य, किस रास्ते पर चल पड़ा है| जिस समय किशोरी अपनी नई दुनियाँ बुनते हैं, आपने यथार्थ में एक दुनियाँ सजाने का स्वप्न देखा जो अपमान, तिरस्कार, घृणा, ईर्ष्या, लोभ इन सब से परे हो, आपका मानना है हाँ जीवन होता है वहाँ सिर्फ सकारात्मक ऊर्जा का वास होना चाहिए| कदाचित इसलिए अपने प्रत्येक लेख द्वारा यह प्रयास किया है कि मानवीय जीवों में पुनः विलुप्त संवेदनशीलता, निर्मलता, दया, प्रेम, क्षमा जैसी भावनाये पिरोई जाएँ|
आपने अपना प्रथम लेख छः वर्ष की आयु में लिखा था, जब आपने कन्या भ्रूण हत्या से सम्बन्धित एक कहानी सुनी थी, तथा कन्या भ्रूण हत्या का अर्थ जाना था| वह कहानी, "जीवन" के शीर्षक के साथ ह्रदय कोष नामक कहानी संग्रालय में 2020 में प्रकिशित हुई| प्रत्येक पिता की तरह आपके पिता भी नहीं चाहते थे कि आप समाज की विकृतियों का मन्न करें, वह भी इतनी कम आयु में| इसलिए उन्होंने आपको कुछ वर्ष ठहरने की सलाह दी तथा समाज की अच्छाईयों पर दृष्टि डालने को कहा,कुछ वर्ष आप आवलोकन में लीन रहीं|
नियति ने आपसे आपके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति आपके दादा को वर्ष 2018 में आपसे दूर कर दिया, उनके दुनियाँ से जाने के पश्चात आपको समय की गति का बोध हुआ और आपने निश्चय किया कि बदलाव के आरम्भ के लिए प्रत्येक समय उचित है|
हिंदी साहित्य में रचनाओं के लिए आपने “निरंजन” शब्द का सहारा लिया है, आपका वास्तिविक नाम संस्कृति सिंह है| आपका प्रथम उपन्यास अंग्रेजी में वर्ष 2019 में प्रकाशित हुआ जब आपकी उम्र मात्र 18 वर्ष की थी| आपकी दूसरी रचना "ह्रदय कोष - इंद्रधनुष के सात रंग" 2020 में प्रकाशित हुई, तथा आपकी तीसरी रचना "ह्रदय कोष- नौ रूपों की आख्यायिका" 2021 में प्रकाशित हुई| आपने हिन्दी साहित्य में गद्य और पद्य दोनों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है| आपको "इंडियन प्राइम आइकॉन अवार्ड 2022" तथा "राष्ट्रीय रत्न सम्मान 2022" से सम्मानित किया गया है|
अक्सर आपकी रचनाओं में प्रकृति के विभिन्न रूपों का उल्लेख किया गया है| आपने अपनी कहानियों में जहाँ अंधविश्वास, रूढ़ियों तथा अन्धपरम्परायो पर चोट की है, वही सहज मानवीय संवेदनाओं और मूल्यों की रक्षा की है| इस प्रकार आप संस्कृति सिंह निरंजन अपनी कहानियों द्वारा भारतीय जन जीवन की यथार्थ झांकी प्रस्तुत करती है, तथा समाज के विभिन्न वर्गो की ज्वलंत समस्याओं का प्रगतिशील दृष्टिकोण भी पाठको के समक्ष रखती है|