Description
"अब और क्या" केवल एक उपन्यास नहीं, बल्कि उन क्षणों का संयोजन है जहाँ कथावाचक स्वयं से सवाल पूछता है- अब और क्या बचा है? यह कृति आत्म-खोज, प्रेम और एकांत के जटिल ताने-बाने को बुनती एक मार्मिक आत्मकथात्मक कथा है। कथावाचक भौतिक मंज़िल की नहीं, बल्कि अपने भीतर के 'शोर' से दूर, एक गहरी शांति की तलाश में है। वह अपनी 'चुप्पी' को सबसे बड़ी अभिव्यक्ति मानता है, जिसकी इच्छा है कि उसे बेआवाज़, पर संपूर्णता से सुना जाए।
उपन्यास आधुनिक शहरी जीवन के उन मौन कोनों को उजागर करता है जहाँ लोग हँसते हुए टूटते हैं, और टूटते हुए आगे बढ़ने का साहस जुटाते हैं। भावनात्मक गहराई, सादगी, और आज के युवा-पाठकों से जुड़ने वाली भाषा के कारण यह व्यापक पाठक-वर्ग को आकर्षित करने की क्षमता रखता है। सम्राट सिंह मानते हैं कि 'सच्चाई व्यक्तिपरक है' और 'पहचान हमेशा तरल होती है'।
हर इंसान एक सफ़र में है। कोई भागता है मंज़िल तक पहुँचने के लिए, और कोई अपने भीतर के शोर से कुछ देर की दूरी चाहता है। जब बातचीत एक ऐसे अंधेरे कुएं में गिरने लगती है जहाँ से आवाज़ें लौटकर नहीं आतीं, तब एक ही सवाल उठता है: प्रेम के चले जाने के बाद, अब और क्या बचा है? अगर आपने कभी उस गहरी चुप्पी में यह पूछा है “अब आगे क्या?”, तो यह किताब आपके लिए है।
सम्राट सिंह, 28 वर्षीय भारतीय लेखक जैनेन्द्र गौतम का साहित्यिक उपनाम (पेन नेम) है। जैनेन्द्र विश्लेषणात्मक गहराई और गहरे इमोशन के साथ जटिल कहानियाँ पिरोने के लिए जाने जाते हैं। बिहार के पटना में जन्मे और पले-बढ़े जैनेन्द्र की पृष्ठभूमि उनके लेखन को एक अनूठी दिशा देती है। पटना यूनिवर्सिटी में भूविज्ञान (Geology) का बैकग्राउंड और CSIR-CIMFR (काउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च — सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च) में उनका पेशेवर कार्य उनकी कहानी कहने की कला पर गहरा असर डालता है। वह ऐसी जटिल कहानियाँ बनाते हैं जिनमें सस्पेंस, मिस्ट्री, आध्यात्मिकता और गहरी सामाजिक टिप्पणी का मिश्रण होता है, जो मानवीय मन की गहराई को खंगालती हैं।
उनकी साहित्यिक और संगीत की कोशिशें एक ही कलात्मक दृष्टिकोण के दो पहलू हैं। सम्राट सिंह के तौर पर, उन्होंने समीक्षकों द्वारा प्रशंसित 'ए डेथ डे सागा' बनाई, जो चार भागों की एक ऐसी गाथा है जो औपनिवेशिक कलकत्ता (Colonial Calcutta) की पृष्ठभूमि में प्यार, धोखे और गहरे सस्पेंस की कहानी को सामने लाती है। इसके अलावा, उन्होंने 'रैप जेनेसिस (DoDo)' भी लिखी है। यह एक एंथोलॉजी है जो पहचान, मज़बूती और विश्वास जैसे विषयों पर बात करने के लिए रैप और साहित्य को नए तरीके से जोड़ती है।
इसके साथ ही, आर्टिस्ट SXMRXXT के रूप में, वह हिप-हॉप, क्लाउड रैप और ऑल्टरनेटिव R&B के अपने प्रायोगिक मिश्रण से संगीत की सीमाओं को आगे बढ़ाते हैं। उनकी डिस्कोग्राफी एक विकसित होती हुई कहानी बनाती है, जिसमें हर ट्रैक एक भावनात्मक और वैचारिक अध्याय की तरह काम करता है। यह बहुआयामी दृष्टिकोण, जो उनके स्वतंत्र इम्प्रिंट टी.आर.एम.एस. (द रियल मी स्टूडियोज़) के तहत है, एक ऐसे कलाकार को दर्शाता है जो लेखन और संगीत दोनों को दुनिया बनाने के शक्तिशाली तरीकों के रूप में देखते हैं, और दर्शकों को मानवीय अनुभव के नए पहलुओं को एक्सप्लोर करने के लिए प्रेरित करते हैं।