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प्रथम कदम से पहले एक अर्ध-कदम
लगभग 5,000 साल पहले, सनातनी विद्वान — गहन शोध और विश्लेषण के बाद — ब्रह्मांड और जीवन का सत्य जान पाए। वे जानते थे कि जिन सवालों के जवाब उन्होंने खोजे हैं वे हर समय के विद्वानों को परेशान करेंगे और इसलिए, यह कालातीत ज्ञान हमेशा प्रासंगिक रहेगा।
ताकि वो बहुमूल्य ज्ञान समय के साथ खो न जाए, उन्होंने उस ज्ञान को — जिसे पूरा और ठीक से शब्दों में अभिव्यक्त करना असंभव था — लिख डाला।
फिर उन्हें लगा कि आम आदमी को यह ज्ञान — सूक्ष्म होने की वजह से — न तो समझ आएगा न ही रुचिकर लगेगा। इसलिए उन्होंने उस पर रोचक कहानियाँ लिख डालीं।
लेखन की इस श्रृंखला में, महर्षि वेद व्यास ने चारों वेदों को उनके वर्तमान रूप में व्यवस्थित करने के बाद, पात्रों और षड्यंत्रों से भरे महाभारत को पांचवें वेद के रूप में लिखा।
लेकिन दुर्भाग्य से, पौराणिक कथाएँ — जिन्हें ऋषियों ने सत्य के लम्बे मार्ग पर एक आसान और आनंदमय पहला कदम माना था एक जिज्ञासु के लिए — धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही हैं।
उन कथाओं को अगली पीढ़ी तक सुरक्षित पहुँचाने के लिए, साई वैद्यनाथन ने जनवरी 2018 में अपनी पुस्तक ‘BRAHMA’s bloodline’ प्रकाशित की जिसमे इस कल्प के प्रथम मन्वंतर से लेकर वर्तमान सातवें मन्वंतर तक के सनातनी साहित्य में उल्लेखित विभिन्न व्यक्तित्वों का संक्षिप्त परिचय दिया है। उस पुस्तक में, सृष्टिकर्ता ब्रह्मा से लेकर भगवान कृष्ण तक का 216 करोड़ वर्ष लम्बा वंश-वृक्ष है।
लेकिन कलियुग यांत्रिक विकर्षणों से भरा है। इसमें आम आदमी — “जो बहुत ही व्यस्त है” — को लघु कथाएँ भी बहुत लंबी लगती हैं।
ताकि इस पीढ़ी और आने वाली पीढ़ियों के पास इन महत्वपूर्ण विषयों पर, वैदिक दर्शन और पौराणिक कथाओं के अभाव में, सिर्फ सवाल ही न रह जाएँ, आपके हाथों में पुस्तक ‘सनातन धर्म प्रश्नोत्तरी’ है जिसमें भारतीय ग्रंथों में उल्लेखित व्यक्तित्वों एवं घटनाओं पर 700 सरल प्रश्न-उत्तर हैं। कदाचित, कलियुगी मनुष्य को ये इतने कठिन न लगें और वह सनातनी ज्ञान के पथ पर एक-दो कदम रख ही दे।
शुरुआत अच्छी हो तो समझ लीजिये कार्य आधा हो ही गया है!
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