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“सुन मेरे मून, तू मेरा सुकून” ये किताब उन युगल जोड़ों को दर्शाता है जिन्होंने प्यार का एक लंबा सफर साथ में तय किया है। इस किताब में ज़िंदगी में अजनबी से दोस्त बनकर, दोस्त से दिलबर बनकर और दिलबर से हमदम बनने तक का सफर कविताओं के माध्यम से बताया गया है। दोस्त से दिलबर बनने के सफर में जितनी भावनाएँ होती हैं जिसमें कभी गुस्सा, कभी नफरत, तो कभी एक तरफ़ा प्यार, मोहब्बत के किस्से और इश्क की दास्तान और सभी भावनाओं को सुंदर तरीके से इस किताब में दर्शाया गया है।
इन कविताओं के सार से हमको ये बताया गया है कि हम सबकी ज़िंदगी में वो एक इंसान जरूर होता है जिस्से हम सबसे ज्यादा प्यार करते हैं और उसी से लड़ते झगड़ते भी हैं पर कितने भी गम आए वो ही हमारी ताकत बनता है और उसमें ही हमारा सुकून बसता है।
उस से ही मिलकर ऐसा लगता है कहने को कि वही
“सुन मेरे मून, तू मेरा सुकून” है।
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