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गीता में अठारह प्रकार के योग का नाम दिया है । मान्यता है कि मुख्य रूप से सांख्य और कर्म योग ही गीता में हैं । इस लघु ग्रन्थ में इन प्रश्नों का समाधान करने का प्रयास है : क्या अठारह योग अलग अलग हैं ? योग और योग मार्ग में क्या अंतर है ? स्मृति: लब्धा और आत्मानुभूति का महत्त्व प्रतिपादित किया गया है ।
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