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औरत के जज़्बात, एहसासात, दर्द, शिद्दत और मोहब्बत को अपने नर्म लहज़े व आम अलफ़ाज़ में मोती मोती पिरोकर ग़ज़ल व नज़्म में पेश करने वाली शायरा ‘परवीन शाकिर’ किसी तअर्रुफ़ की मोहताज नहीं हैं जदीद उर्दू शायरात में आपका मुकाम आला और अलग है परवीन शाकिर की शायरी का उन्वान मोहब्बत और औरत है परवीन शाकिर की शायरी में एक औरत अपनी मोहब्बत का इज़हार करती तो कहीं हिज्र के लम्हात बयान करती तो कहीं अपने दर्द को बे-साख्ता बयान करती हुई नज़र आती है परवीन शाकिर एहसासों की शायरा हैं एक नोजवान लड़की के जज़्बात से लेकर एक शादीशुदा औरत और एक माँ की फ़िक्र व तकाजों की कैफियत को परवीन शाकिर ने बेहद इमानदारी व सच्चाई के साथ अपनी नज्मों व ग़ज़लों में हकीकी एहसास के साथ पैश किया है देखा जाए तो उर्दू शायरी की तरीख में परवीन शाकिर से पहले कोई ऐसी शयारा मुस्तनद तौर पर नज़र नहीं आती है जिसके कलाम में एहसासों, जज़्बातों व दर्द की हकीकी व बेबाक तर्ज़ुमानी मिलती हो इस किताब ‘परवीन शाकिर- इन्तिखाब’ में परवीन शाकिर की ज़िन्दगी के मुख़्तसर हालात और उनके कलाम का इन्तिखाब किया गया है उम्मीदवार हूँ कि उर्दू शायरी ख़ासकर परवीन शाकिर से मोहब्बत रखने वालों के लिए ये किताब काबिल-ऐ-सुकून होगी शुक्रिया
संपादक फरीद अहमद
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