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यह किताब मौर्य सम्राट अशोक की जीवन यात्रा का वर्णन करती है, जो हिंसा से शुरू होकर शांति और करुणा पर खत्म हुई। अशोक का जीवन पांच मुख्य हिस्सों में बांटा गया है:प्रारंभिक जीवन:
अशोक का जन्म 304 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र में हुआ था। उनके दादा चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की नींव रखी, और पिता बिंदुसार ने इसे मजबूत किया। माँ सुभद्रांगी ने उन्हें नैतिकता सिखाई। बचपन में अशोक तेज-तर्रार और साहसी थे, लेकिन दरबार की साजिशों से घिरे रहे। उनकी शिक्षा में युद्ध कला और प्रशासन के साथ-साथ धर्म और दर्शन भी शामिल थे।कालिंग की लड़ाई:
261 ईसा पूर्व में कालिंग युद्ध अशोक के जीवन का टर्निंग पॉइंट था। इस युद्ध में भारी तबाही और खूनखराबे ने उन्हें झकझोर दिया। पहले "चंडाशोक" कहलाने वाले अशोक ने इस घटना के बाद हिंसा छोड़ दी और शांति का रास्ता चुना।धार्मिक परिवर्तन:
कालिंग के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया। उन्होंने अपने साम्राज्य में शांति, अहिंसा और करुणा फैलाई। शिलालेखों के जरिए अपने संदेश प्रजा तक पहुंचाए और बौद्ध धर्म को बढ़ावा दिया। वे एक शासक से धार्मिक नेता बन गए
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