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अथ मार्जरिका उवाच

Anand Kumar Ashodhiya
Type: Print Book
Genre: Poetry, Politics & Society
Language: Hindi
Price: ₹241 + shipping
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Description

क्या इतिहास केवल तारीखों का ढेर है, या प्रतीकों की एक रहस्यमयी भाषा?
'अथ मार्जरिका उवाच' मात्र छंदों का संकलन नहीं, बल्कि साहित्य जगत में एक क्रांतिकारी नवाचार है। यह संभवतः हिंदी साहित्य के इतिहास में पहली बार हुआ है कि आदिकाल के आर्यावर्त से लेकर 2025 के 'अमृत काल' तक के संपूर्ण भारतीय कालक्रम को एक विस्तृत 'प्रतीकात्मक पुनर्पाठ' (Symbolic Reinterpretation) के माध्यम से डिकोड किया गया है।
समय की साझीदार और तटस्थ प्रेक्षक 'मार्जरिका' (एक काल-जयी बिल्ली) के मुख से निकली यह गाथा शुष्क ऐतिहासिक तथ्यों से परे जाकर राष्ट्र की आत्मा को टटोलती है। इस महाकाव्य की सबसे बड़ी शक्ति इसका 198 मानकीकृत प्रतीकों का 'प्रतीक-कोष' है, जो जटिल राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तनों को एक जीवंत साहित्यिक रूप प्रदान करता है।
इस पुस्तक के पन्नों में आप साक्षी बनेंगे:
'श्वेत कपोतों' (शांति और शुरुआती स्वतंत्रता) के युग से लेकर 'महाबाघों' (आधुनिक राष्ट्रीय पौरुष) के उदय तक के सफर का।
'रानी की तानाशाही', 'मौन कपोत' का शासन, और 'डिजिटल यज्ञ' व 'नभ-सारथी' (अंतरिक्ष संधान) जैसी तकनीकी छलाँगों का।
भारत के राज्यों का उनकी भौगोलिक सीमाओं से परे एक नया परिचय—जैसे 'दर्रों की भूमि' से लेकर 'धरती का स्वर्ग' तक।
यह महाकाव्य प्रतियोगी परीक्षाओं (IAS/PCS) के अभ्यर्थियों, राजनीति विज्ञान के शोधार्थियों, कवियों और हर उस जागरूक नागरिक के लिए एक अनिवार्य सेतु है, जो भारत के 'राष्ट्र-रथ' को बिना किसी वैचारिक चश्मे के वस्तुनिष्ठ रूप में समझना चाहता है।
भारतीय वायु सेना के पूर्व वारंट ऑफिसर और पिंगल शास्त्र के मर्मज्ञ आनन्द कुमार आशोधिया द्वारा रचित यह कृति इतिहास, कविता और शोध का एक अद्भुत संगम है। यह राष्ट्र की अखंड चेतना का वह 'एक्स-रे' है, जिसे आने वाली पीढ़ियाँ एक संदर्भ ग्रंथ के रूप में याद रखेंगी।
एक नई दृष्टि। एक नया बोध। एक अमर यात्रा।

अविकावनी पब्लिशर्स | इतिहास, जहाँ कविता बनकर बोलता है।

About the Author

लेखक परिचय: आनन्द कुमार आशोधिया
(कवि, साहित्यिक विश्लेषक, अनुवादक एवं राष्ट्रीय चेतना के संवाहक)

आनन्द कुमार आशोधिया—जिन्हें साहित्यिक जगत में 'आनन्द शाहपुर' के नाम से जाना जाता है—अनुशासित सेवा, भाषाई निपुणता और गहरी सांस्कृतिक जड़ों के एक अद्वितीय संगम हैं। उनकी लेखनी में भारतीय इतिहास की गहरी समझ, छंदों का अनुशासन और लोक-संस्कृति की जीवंतता का त्रिवेणी संगम स्पष्ट रूप से झलकता है।
सैनिक सेवा और साहित्यिक आधार
• राष्ट्र सेवा एवं सम्मान: भारतीय वायु सेना के पूर्व वारंट ऑफिसर के रूप में, उन्होंने 32 वर्षों तक देश की गौरवशाली सेवा की। इस दौरान, राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए उन्हें लगातार आठ वर्षों तक 'राजभाषा प्रोत्साहन सम्मान' से अलंकृत किया गया।
• भाषाई सेतु: अन्नामलाई विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.) उपाधि प्राप्त आनन्द जी हिंदी, हरियाणवी और अंग्रेजी के बीच एक सांस्कृतिक सेतु का कार्य करते हैं।
• सांस्कृतिक जड़ें: हरियाणा के सोनीपत स्थित अपने पैतृक गाँव 'शाहपुर तुर्क' की मिट्टी से उनका गहरा जुड़ाव है। उनका साहित्यिक नाम 'आनन्द शाहपुर' उस लोक-विरासत के प्रति उनकी कृतज्ञता का प्रतीक है।
बहुमुखी प्रतिभा और सृजन संसार
1 अप्रैल को जन्में और वर्तमान में मुंबई में निवासरत आनन्द जी की लेखनी बहुआयामी है। 380 से अधिक रचनाओं के माध्यम से उन्होंने दोहा, छंद, गीत, ग़ज़ल और लघुकथा जैसी विधाओं को समृद्ध किया है। विशेष रूप से, 'पिंगल' (छंद शास्त्र) और लोक-काव्य (रागनी) पर उनकी महारत उन्हें समकालीन कवियों में एक विशिष्ट स्थान दिलाती है।
प्रमुख साहित्यिक कृतियाँ (Selected Works)
• महाकाव्य एवं पुनर्पाठ: अथ मार्जरिका उवाच (भारतीय इतिहास का प्रतीकात्मक महाकाव्य), द्रौपदी: एक लोक चेतना।
• लोक काव्य: अधराजण (लोक महाकाव्य), अविकावनी (हरियाणवी रागनी संग्रह)।
• आधुनिक काव्य: थारा मुद्दा थारी बात, प्रेम के सौ रंग।
• शास्त्रीय समीक्षा: किस्सा भगत पूरणमल एवं हीर राँझा (पिंगल समीक्षा सहित)।
• अनुवाद (Trans-creation): Saket: An English Trans-creation, Niswarthi Udyoga Parva, Kahaan Kahaan Paiband Lagau (अंग्रेजी अनुवाद)।
सम्मान एवं पुरस्कार
साहित्य और संस्कृति के प्रति उनके समर्पण के फलस्वरूप उन्हें 'हरियाणा संस्कृति गौरव रत्न अवॉर्ड', 'कारगिल गौरव विजय सम्मान', और 'हरियाणवी साहित्य रत्न (2025)' जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया है। वे भारतीय क्षेत्रीय और शास्त्रीय साहित्य को वैश्विक धरातल पर स्थापित करने के लिए निरंतर संकल्पित हैं।

Book Details

ISBN: 9789356193970
Publisher: Avikavani Publishers
Number of Pages: 180
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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