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फिर मिलेंगे कहीं

ANKIT PATERIYA ASHOK MISHRA
Type: Print Book
Genre: Biographies & Memoirs
Language: Hindi
Price: ₹245 + shipping
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Description

कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ रिश्ते अधूरे रहकर ही सबसे सच्चे बन जाते हैं।
“फिर मिलेंगे कहीं” अश्मित और पूर्णिमा की वही अधूरी कहानी है,
जो पहली मोहब्बत की मासूमियत और जुदाई के दर्द से भरी है।

अश्मित का आख़िरी पत्र, उसकी आत्मा की आख़िरी पुकार है —
एक ऐसा इज़हार जो कभी अपने मुकाम तक नहीं पहुँचा।
सालों बाद जब माही का जवाब आता है,
तो सच उजागर होता है —
कि कुछ ख़त सिर्फ़ दिलों में रखे जाते हैं,
कभी भेजे नहीं जाते।

यह किताब प्रेम, याद और आत्मा की यात्रा है —
जहाँ हर पन्ना कहता है:
“अगर मोहब्बत सच्ची हो, तो बिछड़ने के बाद भी ज़िंदा रहती है…”

About the Author

ANKIT PATERIYA और ASHOK MISHRA — दोनों बचपन के दोस्त हैं। बचपन की कहानियाँ, सपने और जीवन के अनुभव अब उनके शब्दों में बसते हैं। समय के साथ दोनों ने अपने-अपने रास्तों से गुजरते हुए साहित्य को अपनी पहचान बना लिया है।

जीवन की गहराइयों और रिश्तों की नर्मी को ये दोनों लेखक बेहद सादगी और सच्चाई से अपने लेखन में ढालते हैं।

“फिर मिलेंगे कहीं” उनके साझा सफ़र की एक झलक है — जहाँ भावनाएँ, यादें और जीवन की हलचलें शब्दों के रूप में सामने आती हैं।

अंकित और अशोक दोनों मानते हैं कि लेखन केवल अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार है — और वही पुकार उन्हें हर बार एक नई रचना की ओर खींच ले जाती है।
“फिर मिलेंगे कहीं” में अश्मित, नंदिनी, माही और पूर्णिमा के ज़रिए
मैंने वही भाव लिखने की कोशिश की है, जो कभी सिर्फ महसूस किए थे —
वो इंतज़ार, वो धुंधली सर्द सुबहें, वो साइकिल की घंटी की हल्की-सी ध्वनि,
और वो पत्र जो शायद कभी अपने मंज़िल तक न पहुँच सका।

यह कहानी सिर्फ पात्रों की नहीं है —
यह हर उस दिल की कहानी है जो किसी को खोकर भी,
उसकी यादों में हमेशा ज़िंदा रहता है।

अगर इस किताब का कोई भी शब्द
आपके दिल की किसी गहराई को छू जाए,
तो समझिए — अश्मित, माही और पूर्णिमा आज भी ज़िंदा हैं,
किसी न किसी पन्ने पर, किसी न किसी सांस में...

— अंकित पटेरिया, अशोक मिश्रा
(“फिर मिलेंगे कहीं” के लेखक)

Book Details

Number of Pages: 183
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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