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माइंडमेज़| अतिचिंतन: एक रचनात्मक कला

Anshul Dubey
Type: Print Book
Genre: Philosophy
Language: Hindi
Price: ₹250 + shipping
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Description

क्या आपका दिमाग़ भी एक ऐसा इंजन है जो कभी बंद नहीं होता? क्या आप भी पुरानी बातों और बातचीत को बार-बार अपने मन में दोहराते रहते हैं, जब तक कि आप पूरी तरह थक नहीं जाते?

क्या आपको भी कभी किसी ने कहा है, "तुम सोचते बहुत हो," और आपने मन ही मन सोचा है कि क्या यह आपकी कोई कमी है?

क्या हो अगर यह आपकी कमी नहीं, बल्कि आपकी सबसे बड़ी ताकत हो?

यह किताब, माइंडमेज़: अतिचिंतन - एक रचनात्मक कला, इसी सोच को एक नई और क्रांतिकारी दिशा देती है। यह किताब आपको 'सोच रोकने के 5 तरीके' नहीं सिखाएगी। इसके बजाय, यह तर्क देती है कि एक ओवरथिंकर का शक्तिशाली दिमाग बंद करने के लिए नहीं, बल्कि सही दिशा में चलाने के लिए बना है।

यह किताब नकारात्मक और विनाशकारी अति-सोच से निकलकर रचनात्मक अतिचिंतन (Constructive Overthinking) की कला सीखने की एक यात्रा है। आप अपने विचारों से लड़ना नहीं, बल्कि उनकी अपार शक्ति को रचनात्मकता, स्पष्टता और जीवन की सबसे जटिल पहेलियों को सुलझाने की ओर मोड़ना सीखेंगे।

इस किताब में आप जानेंगे:

वह 'सिल्वर बुलेट' जो नकारात्मक विचारों के खिलाफ युद्ध में आपको 80% जीत दिला सकता है: आत्म-जागरूकता (Self-Awareness)।
वे चार आम 'मानसिक ताले' जो आपकी सोच को जकड़ लेते हैं: 'आर या पार' (All or Nothing), 'द मैग्निफाइंग ग्लास' (Catastrophizing), 'मेंटलिस्ट' (Mind Reading), और 'किताब का कवर' (Overgeneralization)।
तनाव के क्षणों में नियंत्रण वापस पाने के लिए सरल और व्यावहारिक 'मास्टर चाबियाँ', जैसे 'लाइफ-ओ-मीटर' और 'ओपन द बॉक्स' तकनीक।
अतीत के पछतावे और भविष्य की चिंताओं की 'मरीचिका' से बाहर निकलकर वर्तमान के 'क्लाइमेक्स' में जीने का रहस्य।
कैसे आप अपने दिमाग को चिंता के स्रोत से बदलकर नवाचार (innovation), समस्या-समाधान (problem-solving) और एक बेहतर जीवन बनाने के एक शक्तिशाली औज़ार में बदल सकते हैं।
आपका दिमाग़ एक बोझ नहीं, एक रॉकेट है। हो सकता है अब तक इसका निशाना गलत तारे पर रहा हो। यह किताब आपका नया नेविगेशन सिस्टम है।

अगर आप अपने विचारों से लड़ना बंद करके, उन्हें एक सार्थक और रचनात्मक जीवन बनाने के लिए इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं, तो ऊपर स्क्रॉल करें और 'Buy Now' पर क्लिक करें और अपनी परिवर्तन की यात्रा शुरू करें।

About the Author

अंशुल दुबे एक लेखक, विचारक और Parallect Reality Academy के संस्थापक हैं। उनका मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य भारतीय जनमानस के लिए एक महत्वपूर्ण लेकिन अक्सर उपेक्षित पक्ष रहा है। इसका एक बड़ा कारण मनोविज्ञान की जटिल और भारी-भरकम शब्दावली है, जो इसे आम इंसान की पहुँच से दूर कर देती है और इसे एक रहस्यमयी तंत्र जैसा बना देती है।

Parallect Reality Academy के माध्यम से, अंशुल इसी अंतर को पाटने का काम करते हैं। वे अपनी मनोविज्ञान की गहरी समझ का उपयोग करते हुए, जटिल मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों और जानकारियों को सरल, व्यावहारिक और आम बोलचाल की भाषा में बदलते हैं, ताकि हर कोई उन्हें आसानी से समझ सके और अपने जीवन में लागू कर सके।
उनकी पुस्तक, "अतिचिंतन: एक रचनात्मक कला", इसी प्रयास का एक जीवंत उदाहरण है। यह किताब अकादमिक रिसर्च के बजाय व्यावहारिक तकनीकों और एक समानांतर दृष्टिकोण पर केंद्रित है, जो यह सिखाती है कि हम अपनी सोच के शक्तिशाली इंजन को सही दिशा कैसे दे सकते हैं।
अंशुल का मानना है कि आपको अपनी सोच को नियंत्रित करने के लिए विशेषज्ञ होने की आवश्यकता नहीं है, बस थोड़ा जागरूक होने और सही उपकरणों का उपयोग करने की जरूरत है। यह किताब उसी जागरूकता को जगाने और उन उपकरणों को आप तक पहुँचाने का एक ईमानदार प्रयास है।
जब वे लिख नहीं रहे होते, तो उन्हें इंसानी व्यवहार का अवलोकन करना और लंबी सैर पर जाना पसंद है।

Book Details

ISBN: 9788198920553
Publisher: Parallect Reality Academy
Number of Pages: 128
Dimensions: 5.83"x8.26"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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