You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
इस कहानी में विजय, एक खतरनाक अपराधी, अपनी सत्ता और साम्राज्य के लिए हर सीमा पार करता है। जब अजय और साक्षी, दो कुशल पुलिस अधिकारी, उसकी योजनाओं को नाकाम करने के लिए खड़े होते हैं, तो विजय अपनी चालाकी से उन्हें चुनौती देता है। विजय का उद्देश्य न केवल शहर में आतंक फैलाना है, बल्कि अपने प्रतिद्वंद्वियों से प्रतिशोध लेना भी है।
जेल में रहते हुए, विजय अपने पुराने संपर्कों के जरिए अपनी काली गतिविधियों को जारी रखता है। उसके द्वारा छोड़े गए सुराग अजय और साक्षी के लिए एक पहेली बन जाते हैं। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, अजय और साक्षी विजय के नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन विजय की हर चाल उन्हें और उलझा देती है।
सुनवाई के दौरान विजय का काला खेल खुलासा होता है, लेकिन उसका एक अंतिम दांव अभी बाकी है। बम के माध्यम से वह शहर में फिर से आतंक मचाने की योजना बनाता है। अजय और साक्षी के प्रयासों से वह प्लान नाकाम होता है, लेकिन विजय के अंतिम शब्द बताते हैं कि वह हार मानने को तैयार नहीं है।
कहानी में न्याय, धोखे और प्रतिशोध का ताना-बाना बुना गया है, जहाँ अजय और साक्षी विजय के सभी खेलों को नाकाम करते हैं। अंततः, विजय का साम्राज्य ध्वस्त हो जाता है, और अजय और साक्षी साबित कर देते हैं कि सत्य और न्याय की जीत हमेशा होती है।
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book अपराध का खेल.