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मेरे दर्द को...इनाम मिला, इंसाफ नहीं।
ये एक स्कूल टीचर के अपहरण और हत्या की सच्ची घटना पर आधारित कहानी है। साल 1993 में सुशील कुमारी नाम की शिक्षिका हरियाणा के हिसार जिले में एक सरकारी स्कूल में कार्यरत थी। बेहद ईमानदार और बेदाग छवि रखने वाली सुशील पर तत्कालीन मुख्यमंत्री के करीबी और राजनैतिक रसूख वाले कुछ लोगों ने परीक्षा में एक छात्रा को नकल करवाने का दबाव डाला। लेकिन जब सुशील किसी दबाव के आगे नहीं झुकी तो बदला लेने के लिए उसका अपहरण कर उसकी हत्या कर दी गई। केस को गुमराह करने और अपने करीबियों को बचाने के लिए खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अध्यापिका के चरित्र पर ही सवाल खडे करने चाहे। इस पुस्तक में अध्यापिका सुशील कुमारी के अपहरण और हत्या, पुलिस जांच, आरोपी का इकबालिया बयान, राजनैतिक साजिश और सीबीआई की जांच को गुमराह करने की तमाम कोशिशें तथ्यों के साथ दर्ज की...
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