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मेरे दर्द को...इनाम मिला, इंसाफ नहीं।
ये एक स्कूल टीचर के अपहरण और हत्या की सच्ची घटना पर आधारित कहानी है। साल 1993 में सुशील कुमारी नाम की शिक्षिका हरियाणा के हिसार जिले में एक सरकारी स्कूल में कार्यरत थी। बेहद ईमानदार और बेदाग छवि रखने वाली सुशील पर तत्कालीन मुख्यमंत्री के करीबी और राजनैतिक रसूख वाले कुछ लोगों ने परीक्षा में एक छात्रा को नकल करवाने का दबाव डाला। लेकिन जब सुशील किसी दबाव के आगे नहीं झुकी तो बदला लेने के लिए उसका अपहरण कर उसकी हत्या कर दी गई। केस को गुमराह करने और अपने करीबियों को बचाने के लिए खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अध्यापिका के चरित्र पर ही सवाल खडे करने चाहे। इस पुस्तक में अध्यापिका सुशील कुमारी के अपहरण और हत्या, पुलिस जांच, आरोपी का इकबालिया बयान, राजनैतिक साजिश और सीबीआई की जांच को गुमराह करने की तमाम कोशिशें तथ्यों के साथ दर्ज की गई हैं। ये कहानी सिस्टम और समाज की उन खामियों को दिखाती है जो एक महिला को समाज में खुलकर जीने की इजाज़त नहीं देते। नाजायज़ रिश्तों का एक ऐसा जाल जिसमें उलझ कर एक छात्र नेता और उसके साथी इतना खौफनाक अपराध करने पर आमादा हो गए। घटना के 17 साल बाद साल 2010 में हरियाणा सरकार ने बहादुर अध्यापिका के नाम पर राज्य में शिक्षा का सर्वोच्च पुरस्कार तो घोषित किया लेकिन सुशील कुमारी को इंसाफ अभी तक नहीं मिल पाया है। आज भी सुशील कुमारी का परिवार अपनी बेटी पर हुए जुल्म का इंसाफ पाने के लिए अदालतों और सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है। ये इनाम देने वाली सरकार से इंसाफ मांगती उस दिवंगत शिक्षिका की आवाज़ है।
‘Mere Dard Ko Inaam Mila, Insaaf Nahi’ is a non fiction work, based on real story of a school teacher, Sushil Kumari, who got abducted and killed for not allowing cheating in the Examination. In the year 1993, She was working in a government school at Hisar in Haryana. She was approached by close relative of, the then chief minister of the state & his friends to help a girl in board examination. When she refused to fall in line, they abducted and then killed her. This is a story of illicit relations, misuse of political power, influenced CBI investigation & failure of the system to protect an honest teacher. After 17 years, Haryana government announced state award in the name of teacher Sushil Kumari, but her soul is still waiting for Justice.
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