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उन सभी अनकही आवाज़ों के नाम
जो हर रात अपनी ही देह की दीवारों से टकराकर लौट आती हैं;
उन थकी हुई आत्माओं के नाम
जो मुस्कुराना नहीं भूलतीं, पर भीतर से रोज़ थोड़ा-थोड़ा बुझती हैं;
उन किरदारों के नाम उन सभी आत्माओं के नाम, जिन्हें अपनी ही देह से थकान महसूस होती है
जो दुनिया की भीड़ में अदृश्य रहकर भी प्रेम का भार ढोते हैं—
यह पुस्तक तुम्हारी ही साँसों से लिखी गई है।यह किताब तुम्हारी आवाज़ है।
जब तुम अपनी चुप्पियों में यह पढ़ोगे,
मैं जानूँगा कि मेरी दूसरी देह ने तुम्हारे भीतर थोड़ी जगह पा ली।
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