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सपनों के बिच पिछले दो सालों में कुछ ख़यालों को शब्द मिले। ये पुस्तक बस उन्ही ख़यालों का संग्रह है। कुछ अनकही बातें है इसमें और कुछ खुद से मुलाक़ातें भी है। कुछ कविता के रूप में शामिल हैं तो कुछ बस दो पंक्तियों के मेहमान हैं। प्यार, एकांत, डर, विश्वास और कितने ऐसे एहसास हैं जो आपका इस किताब के रूप में इंतज़ार कर रहें हैं। हर एहसास को मैंने इंसाफ देने की कोशिश की है। हर उस बात को जो हिचकिचाहट का शिकार बन गयी हो उसे हाथ पकड़ कर बाहर लाने की कोशिश की है । उम्मीद है आपको ये कुछ महसूस करा पाए। फिर मिलेंगे अगली किताब में।
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