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सारंग भाग 2 कहानी संग्रह में कुल 12 कहानियां संग्रहित हैं। इन कहानियों में समाज को नया संदेश देने का प्रयास किया गया है। आप जब इन कहानियों को पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कि बिल्कुल यह आपके आमने-सामने, आपके परिवेश, आपके समाज में घटित हो रही घटनाएं ही हैं। यथार्थ से जुड़ी इन कहानियों में मैंने प्रयास किया है कि हू-ब-हू और पूरी ईमानदारी के साथ न्याय करते हुए विषय-वस्तु को आपके सामने परोसूं। पहली कहानी 'ये लाशें किनकी हैं', इस कहानी में आप सांप्रदायिक हिंसा के कारण जो प्रभाव समाज पर पड़ता है उसको समझने और एक नए घटनाक्रम को अपने सामने पाएंगे कि इन सब के पीछे का मूल उद्देश्य क्या होता है। उसी प्रकार 'अवरोहण' कहानी में बताया गया है कि गरीबी के लिए जिम्मेदार बहुत हद तक व्यक्ति स्वयं भी होता है। केवल दूसरे लोग ही जिम्मेदार नहीं होते। उसी प्रकार 'घर' शीर्षक कहानी में आप पाएंगे कि वर्तमान समय में माता-पिता को किस दृष्टि से लोग देख रहे हैं और अपने स्वार्थ को सिद्ध करने में लगे हुए हैं। वहीं आप पाएंगे 'इस्तेमाल' कहानी में राजनेता किस प्रकार दूसरों के कंधों पर अपने पैर रखकर सफलता की सीढ़ियां तो चढ़ जाते हैं लेकिन बाद में उन लोगों को भूल जाते हैं जिन्होंने उनकी नींव बनाई थी। उनको पूरी तरह से भूल जाते तो फिर हम क्यों ऐसे नेताओं के बहकावे में आते हैं? उसी प्रकार आप पाएंगे 'अखबार के पन्ने' में अच्छी रचनाओं को जगह नहीं मिलती है बल्कि उसकी जगह नामचीन लेखकों को प्रश्रय दिया जाता है जबकि अच्छी रचनाएं नवोदित लेखकों के माध्यम से पहुंचती हैं। उन पर ध्यान नहीं दिया जाता। साथ ही क्या बेबसी है आज के व्यवसायिक दौर में साहित्य को तिलांजलि देते हुए केवल अपने लाभ और स्वार्थ की ओर आज की पत्रकारिता, आज की मीडिया कैसे अग्रसर है ? आप वहीं पर 'अंज़ाम' में देखेंगे कि किसी नेता के उकसावे में आकर जो लोग बंद का आह्वान करते हैं उस बंद का परिणाम क्या होता है। 'सालगिरह का तोहफ़ा' में एक दबंग लोगों के द्वारा इस तरह से गरीबों का शोषण होता है उसे देखेंगेे। 'साक्षात्कार' कहानी में किस प्रकार से बेरोज़गारों के साथ मज़ाक किया जाता है ।'झरोखों से' कहानी में आप दिहाड़ी मज़दूरी करने वाले व्यक्ति का बंदी के दौरान जो तकलीफें उठानी पड़ती है उसको पाएंगे। 'जंगल' कहानी में पाएंगे पारिवारिक त्रासदी से जूझते हुए व्यक्ति को कितना कठिन संघर्ष करना पड़ता है और 'फ़ैसला' कहानी आपको बताएगी कि किस प्रकार पंचायत स्तर पर भी अगर सूझबूझ हो तो किसी भी मामले और मुकदमों का निपटारा कितने सुंदर ढंग से हो सकता है। आप इन कहानियों को जब पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कि आपका समाज आपके सामने है।आपका गांव-घर आपके सामने हैै, और सब कुछ, सारे पात्र आपके इर्द-गिर्द घूमने वाले ही लोग हैं इन कहानियों को पढ़कर आपको बड़ा ही आनंद आएगा।
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