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आज की दुनियाँ में अमीरों-वज़ीरों का मज़हब ही सबसे बड़ा मज़हब है। बाक़ि के सारे मज़हब तो चमचे हैं इनके! मतलब बिज़नेसमेन और पॉलिटिशियंस? इतना ही नहीं, इस बड़े मज़हब ने कुछ ऐसे हथियार तैयार किये हैं, जो एकदम अचुक हैं। जो सीधा निशाने पर जा लगती है। और वो सारे हथियार इन छोटे-छोटे मज़हबों को मुफ़्त में सप्लाई कर दिया जाता है। हथियार! मतलब असले! हाँ! वेपन्स्। जैसे: JVD, KVD, DVD, SVD, RVD etc. JVD मीन्स् जातिवाद, KVD मीन्स् क्षेत्रवाद, DVD मीन्स् धर्मवाद, SVD मीन्स् सम्प्रदायवाद, समाजवाद, RVD मीन्स् राष्ट्रवाद। इनमें सबसे ख़तरनाक है DVD...धर्मवाद। ये एक ऐसा रोबोट है, जो एक ही बात को बार-बार दुहराता रहता है, "मज़हब में अकल का दख़ल नहीं, मज़हब में अकल का दख़ल नहीं" और हर मज़हब के लिए अलग-अलग रोबोट ड़िज़ाईन किये गये हैं। इनके हाँ में हाँ मिलायें तो वफ़ादार ग़ुलाम। और ग़लती से भी ना कहा तो ग़ुनाहगार ग़ुलाम। और इस ग़ुनाह की एक ही सज़ा है क़त्लेआम। नो लॉजिक नो रिजनींग! बस हूक़्म की तामील होनी चाहिए। क्योंकि वो हूक़्म उनका हूक़्म नहीं, बल्कि ईश्वर का हूक़्म है। अलग अलग ड़िज़ाईन के रोबोट के हाथ में लगभग एक जैसा ही गन है, जो एक ऐसे किताब के फॉर्म में है, जो आसमान से सीधे ज़मीन पर उतरे हैं। जो अंदर-बाहर से अलग-अलग दिखते हैं पर सबके अंदर गोलियाँ एकदम सेम हैं। उन गोलियों का नाम है- MMAKDN...मतलब मज़हब में अकल का दख़ल नहीं। इस तक़िया क़लाम में कितना दम है? रत्ती भर भी दम नहीं है। ये सिर्फ़ कहने और सुनने में ही अच्छा लगता है। पूरी दुनियाँ का इतिहास उठाकर देख लो। शायद इस धरती को सबसे ज़्यादा नुक़सान, रिलिजन या मज़हब ने ही पहुँचाया है, आज भी पहुँचा रहा है और आगे भी पहुँचाता रहेगा। आज वक़्त आ गया है कि इंसान जितनी जल्द से जल्द हो सके, इस रिलिजन या मज़हब को इंसानी समाज के भीतर से जड़ समेत उखाड़ फ़ेंक दें, उतनी ही जल्दी एक मज़बूत इंसानी समाज बन सकेगा।
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