You can access the distribution details by navigating to My Print Books(POD) > Distribution
“चिंता से चिंतन तक” चिंतामणि बिशाल का एक सारगर्भित निबंध संग्रह है, जो जीवन, समाज और शिक्षा के विविध आयामों को विचारोत्तेजक शैली में प्रस्तुत करता है। यह पुस्तक मनुष्य की चिंता से उत्पन्न चिंतन की उस यात्रा को दर्शाती है, जहाँ प्रश्न आत्ममंथन में बदल जाते हैं और अनुभव दर्शन का रूप ले लेते हैं।
इस संग्रह के प्रत्येक निबंध में लेखक ने समसामयिक विषयों — जैसे दिशाहीनता का दौर, पर्यावरण, अस्तित्व, आदिवासी समाज, गांधीवाद, और साहित्य की प्रासंगिकता — पर गहराई से चिंतन किया है। भाषा सरल है, पर विचार गहरे हैं, जो पाठक को सोचने, समझने और आत्मावलोकन करने के लिए प्रेरित करते हैं।
यह पुस्तक विद्यार्थियों, शिक्षकों, चिंतकों और साहित्यप्रेमियों के लिए समान रूप से उपयोगी है।
यह केवल निबंधों का संकलन नहीं, बल्कि जीवन को समझने की एक संवेदनशील यात्रा है —
**चिंता से चिंतन तक।**
Currently there are no reviews available for this book.
Be the first one to write a review for the book चिंता से चिंतन तक.