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अम्मा की पारखी नजर

Deepika Manvani
Type: Print Book
Genre: Literature & Fiction
Language: Hindi
Price: ₹250 + shipping
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Description

पुस्तक परिचय

माँ, नानी-दादी या फिर सासु माँ से प्यार और समर्पण की गाथा है यह पुस्तक। भिन्न-भिन्न रूपों में माँ की उपासना व उनकी पारखी नजर को दर्शाती यह पुस्तक हर संतान के दिल के करीब होगी। इस पुस्तक में सभी लेखन विधाओं को सम्मिलित कर एक प्रेम भरे धागे में पिरोया गया है। जो निश्चित ही आपको हृदय स्पर्शी भाव अवश्य प्रदान करेगी।
मातृशक्ति को सादर नमन।

दीपिका मानवानी

About the Author

इनका नाम श्रीमती दीपिका मानवानी है। इनका जन्म १९७८ (ईस्वी) को हुआ था। ये श्रीमती जयश्री चंदवानी एवं श्री प्रकाश चन्द्र चंदवानी (माता-पिता) की संतान हैं। इनके पति का नाम किशोर मानवानी है। ये बालासिनोर (गुजरात) की निवासी हैं। इन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय, मंदसौर (म.प्र) से बी एस सी की पढ़ाई की है। ये तैंतीस वर्षों से लिख रही हैं। इन्होंने अपनी पहली रचना का सृजन १९९१ (ईस्वी) में किया था। ये अब तक हजारों रचनाओं का सृजन कर चुकी हैं। इनके अनुसार लेखन एक संकेत है, जीवन यापन की राह बताने वाला, अपने पथ पर प्रेरित करने वाला, फिर से अहसासों को जगाने का। ये एक लेखिका (गद्य/पद्य दोनों ही विधा में तथा हिन्दी व सिंधी भाषा में), स्तंभकार (जनशोले अखबार में) व यूट्यूबर (जीनियस सोच) हैं। इनका मानना है कि "बेटी को आप घर भर कर सामान दिला सकते हैं, सम्मान नहीं! बेटी को योग्य बनाइए सम्मान वह खुद कमा लेगी"। इनके मनपसंद लेखक मुंशी प्रेमचंद हैं। इनका मनपसंद उपन्यास गोदान, ईदगाह आदि हैं। इन्हें लघुकथाएंँ, कविताएंँ व सामान्य ज्ञान की पत्रिकाएंँ पढ़ना अत्यंत पसंद हैं। इन्हें गद्य, एवं पद्य दोनों ही विधा में लिखना पसंद हैं। ये सिंधी व हिंदी भाषा में रचनाओं का सृजन करती हैं। इनके द्वारा सृजन की हुई इनकी मनपसंद रचना,"विधि की विधि" (लघुकथा), "एक दिवाली ऐसी भी" (लघुकथा), "हर लम्हा तेरे गीत गाता हूंँ"(भजन), "मैं एक ग्रहणी हूंँ" (हास्य कविता), "पहिंजी बोली खे भुलाए छो तू लाल खे भुलाई" (सिंधी तरन्नुम) तथा "छंदावली " में लिखी सभी रचनाएं पसंद हैं। ये अब तक ओनलाइन तथा ओफलाइन मिलाकर के १० कवि सम्मेलनों में जुड़कर उनकी शोभा व गरिमा बढ़ा चुकी हैं। ये अखिल भारतीय साहित्य परिषद मंदसौर इकाई से जुड़ी हुई हैं। ये स्वयं एक संकलन कर्ता के रूप में भी कार्यरत हैं। इनकी अब तक दो संकलित पुस्तकें "नया जमाना पुराना खजाना" तथा "मर्जी का मर्ज" प्रकाशित हो चुकी हैं। ये अब तक २० साझा संकलनों/पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें अब तक २४ सम्मान व ४ पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। अब तक इनकी चार पुस्तकें "नायिका", "पुरुष प्रधान", "विचार क्रांति", तथा "छंदावली" प्रकाशित हो चुकी हैं। इनका लिखा व गाया सिंधी भजन संक्षिप्त सिंधी फिल्म "घर घर झूलेलाल" में लिया गया है।

Book Details

ISBN: 9789334418187
Number of Pages: 82
Dimensions: 5.5"x8.5"
Interior Pages: B&W
Binding: Paperback (Perfect Binding)
Availability: In Stock (Print on Demand)

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