बहुत ही खूबसूरत शब्दों से नवाजा गया है ये किताब। मुझे apeksha जी ने इसको बर्थडे गिफ्ट पर दिया था। मेरा मनना है कि हर उस व्यक्ति को, जो कविताओं में दिलचस्पी रखता हो, उसे यह पुस्तक पढ़नी चाहिए। दअरसल होता ये है कि कविता पढ़ने का फायदा है कि आप दुनियावी मामलों में काफ़ी लचर और लाचार बन जाते हैं । क्योंकि साहित्य का ज़ोर poetic justice पर होता है। यानी अच्छे के साथ अच्छा और बुरे के साथ बुरा। पर असल दुनिया ऐसी नहीं होती। तभी उसे poetic justice कहते हैं। मुद्दा ये है कि अगर आपका स्वभाव खुल के प्रेम करने का है या प्रेम को प्रदर्शित करने में है( और यहाँ बात सिर्फ़ प्रेमियों वाले प्रेम की नहीं हो रही सभी प्रकार के प्रेमों पर ये नियम लागू होता है ) तो आप निरे बकलोल ही रहेंगे।
आपका प्रेम प्रदर्शित करना आपको कई सारे विशेषणों से नवाज़ता है। मसलन बेहया, अजीब, यहाँ तक की खर्चीला भी। या जब आप बिना माँगे कोई उपहार दें तो उपहार प्राप्तकर्ता आप से ही पलट कर पूछता है, " हमने तो माँगा ही नहीं था कुछ" या " मेरे लिए कुछ करने की ज़रूरत नहीं है" क्योंकि सामने वाला भली भांति जानता है कि आपकी सहृदयता आपसे
बहुत खूबसूरत किताब है, हर किसी को पढ़ना चाहिए
बहुत ही खूबसूरत शब्दों से नवाजा गया है ये किताब। मुझे apeksha जी ने इसको बर्थडे गिफ्ट पर दिया था। मेरा मनना है कि हर उस व्यक्ति को, जो कविताओं में दिलचस्पी रखता हो, उसे यह पुस्तक पढ़नी चाहिए। दअरसल होता ये है कि कविता पढ़ने का फायदा है कि आप दुनियावी मामलों में काफ़ी लचर और लाचार बन जाते हैं । क्योंकि साहित्य का ज़ोर poetic justice पर होता है। यानी अच्छे के साथ अच्छा और बुरे के साथ बुरा। पर असल दुनिया ऐसी नहीं होती। तभी उसे poetic justice कहते हैं।
मुद्दा ये है कि अगर आपका स्वभाव खुल के प्रेम करने का है या प्रेम को प्रदर्शित करने में है( और यहाँ बात सिर्फ़ प्रेमियों वाले प्रेम की नहीं हो रही सभी प्रकार के प्रेमों पर ये नियम लागू होता है ) तो आप निरे बकलोल ही रहेंगे।
आपका प्रेम प्रदर्शित करना आपको कई सारे विशेषणों से नवाज़ता है। मसलन बेहया, अजीब, यहाँ तक की खर्चीला भी। या जब आप बिना माँगे कोई उपहार दें तो उपहार प्राप्तकर्ता आप से ही पलट कर पूछता है, " हमने तो माँगा ही नहीं था कुछ" या " मेरे लिए कुछ करने की ज़रूरत नहीं है" क्योंकि सामने वाला भली भांति जानता है कि आपकी सहृदयता आपसे