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डॉ. बिशम्बर दयाल गोठवाल द्वारा लिखित यह वृतांत इतिहास, आध्यात्मिकता और संस्कृति के प्रति उनके गहरे प्रेम से प्रेरित है। यह पुस्तक लेखक की व्यक्तिगत धार्मिक यात्राओं का जीवंत चित्रण करती है, जिसमें वाराणसी और केदारनाथ के भव्य मंदिरों से लेकर दक्षिण भारत के प्राचीन मंदिरों तक की तीर्थ यात्राएँ सम्मिलित हैं। इन पवित्र स्थलों के महत्व को दर्शाने वाली सांस्कृतिक व पौराणिक कहानियाँ इसे और भी रोचक बनाती हैं। यह एक ऐसा संस्मरण है, जो पाठकों को भारत के दिव्य मंदिरों और आध्यात्मिक स्थलों की एक परिवर्तनकारी यात्रा पर ले जाता है।
प्रेरणादायक प्रस्तुति
यह पुस्तक बहुत ही सरल भाषा में लिखी गई है व प्रत्येक जिज्ञासु के लिये एक महत्पूर्ण संदर्भ ग्रंथ है । विशेषत: विष्णुजी की तीन दिव्य मूर्तियों एवं शिवजी के...