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जनसंचार अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। यह एक आदर्श कला है, उत्तम व्यवसाय है और मानव चेतना को जागृत करने का प्रभावशाली साधन है। हवा-पानी और भोजन अगर मनुष्य के जीवित रहने के लिए जरूरी है, तो जीवनयापन में सूचनाओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण बन गई है। बीसवीं सदी के आखिरी दशक में सूचना तकनीक की जो वयार चली उससे हर व्यक्ति प्रभावित हो गया। यह डिजिटल तकनीक से संभव हुआ है, जिसे लौह युग के बाद का एक बडा क्रांतिकारी बदलाव माना जा सकता है। इस तकनीक ने पूरी दुनिया को बदल डाली है। जन-संचार के साधनों ने सोचने-समझने और सच्चाई को जानने में काफी मददगार साबित हो चुका है।
हिसाब-किताब लगाने वाले छोटे से कैलकुलेटर से शुरु हुई डिजिटल तकनीक कंप्यूटर और उससे फैली विभिन्न शाखाओं का चलन आम हो चुका है। इंटरनेट, ई-मेल, लैपटॉप, मोबाइल, टी-चार्ज टॉकटाइम, एटीएम, चैनल, ऑनलाइन, सीडी, आईपॉड, मीडिया इत्यादि लोगों की जुबान पर चढ़ चुके हैं।
कल तक जो उपकरण विलासिता की वस्तु समझे जाते थे, आज वे आवश्यक बन गए हैं। यह कहें कि जनसंचार के साधनों ने जीवन की धारा को जो गति प्रदान की है। यह मानव जाति के लिए सर्वश्रेष्ठ और बहुपयोगी है।जो काम शब्द नहीं करते वह काम चित्र कर जाते हैं। फोटो पत्रकारिता के माध्यम से किसी एक बडी घटना का पूरा सारांश एक चित्र में प्रस्तुत किया जा सकता है। शब्द संचार में भी दृश्य सामग्री का महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी समाचार-पत्र में जब तक फोटो अथवा ग्राफिक्स न हो तब तक उस समाचार को आकर्षक बनाना सम्भव नहीं होता। फोटो पत्रकारिता की बढ़ती हुई मांग का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि आजकल टेलीविजन पर प्रस्तुत किये जा रहे समाचारों के साथ फोटो उपलब्ध रहते हैं। फोटो पत्रकारिता समाज के अशिक्षित व्यक्ति तक पहुँच रही है क्योंकि वहाँ पर भाव सम्प्रेषण दृश्य के माध्यम से होता है। फोटो पत्रकारिता की एक और विशेष बात है कि उसमें भाषा न होते हुए भी समाचारों का सम्प्रेषण होता है। उदाहरण के लिए कहीं विदेश में घटी घटना का चित्रण विदेशी भाषा में वर्णित किया गया हो तो उसका आकलन उस भाषा को जानने वाला ही करता है किन्तु फोटो चित्रण से कोई भी व्यक्ति घटना की गंभीरता का अनुमान सहज ही लगा सकता है।
मुझे बचपन से ही फोटो खींचने का शौक था। इससे संबंधित जानकारी को प्राप्त करने हेतु मेरे अंदर एक जिज्ञासा बनी रहती थी। एम.फिल करने के दौरान इस जिज्ञासा को एक नई दिशा मिली और उस पर गहराई से अध्ययन मेरा लक्ष्य बन गया ताकि इसे अपना विषय बना लिया है। हमारे समाज में दैनंदिन घटनाओं, राजनीतिक विचारधाराओं, नवीन जीवन मूल्यों को स्थापित करने में फोटो पत्रकारिता किस हद तक सफल हुए हैं, सामयिक घटनाओं के प्रस्तुतीकरण, राष्ट्र उत्थान आदि के बारे में जनसंचार और उसके साधन के रूप में फोटो पत्रकारिता कहाँ तक प्रभावी एवं उपयोगी सिद्ध हुआ है-इन विचारों से भी प्रेरित होकर मैंने अपने लघु शोध प्रबंध के लिए "जनसंचार और फोटो पत्रकारिता" शीर्षक चुना है।
प्रस्तुत शोध कार्य पाँच अध्याय में विभाजित है। पहला अध्याय में जनसंचार की महत्ता, उपयोगिता और नई दिशाएँ के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया गया है तथा जनसंचार के माध्यम और उस क्षेत्र में हुई तकनीकी क्रांति, प्रचार-प्रसार पर भी विवेचन किया गया है।
दूसरे अध्याय में फोटो पत्रकारिता का उद्भव और विकास, भारत और विदेशों में फोटो पत्रकरिता का स्थान, छायांकन और फोटो पत्रकार के गुण, फोटो पत्रकारिता के आयाम आदि का परिचयात्मक विवरण दिया गया है।
तीसरे अध्याय में छायांकन और कैमरा, चित्र संपादन के सिद्धांत, समाचार-चित्र, एजेंसी, महिलाएँ और फोटो पत्रकारिता, प्रमुख फोटो पत्रकारों के बारे में प्रकाश डाला गया है।
चौथे अध्याय में फोटो पत्रकारिता की प्रासंगिकता, फोटो पत्रकारिता और कानून, प्रेस फोटोग्राफी, फोटो पत्रकारिता का भविष्य के बारे में चर्चा की गयी है।
अंतिम अध्याय उपसंहार के अंतर्गत इन सभी का समग्र रूप में मूल्यांकन किया गया है। अंत में सहायक ग्रंथों की सूची प्रस्तुत की है। इस शोध कार्य में जाने अनजाने अनेक त्रुटियाँ हुई होगी। मैं उन त्रुटियों के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ और विद्वज्जनों से अमूल्य सुझाव की अपेक्षा रखती हूँ।
मेरे पूज्य माँ-बाप को समर्पित जिनका स्नेहवात्सल्य सदा प्रेरणा-स्रोत रहा है।
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