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"यादें" केवल एक कविता-संग्रह नहीं, बल्कि उन स्मृतियों का अनुनाद है जो छू तो नहीं सकते, पर हर पल भीतर बोलती हैं।
इस संग्रह की हर कविता एक चुप्पी को आवाज़ देती है — उन लम्हों को जो बीत चुके हैं, पर मन के किसी कोने में अब भी धड़कते हैं।
डॉ. सत्यवान सौरभ ने इन 100 कविताओं के माध्यम से एक ऐसा आत्मीय संसार रचा है जहाँ पाठक खुद को भी पाते हैं और अपने खोए हुए अपनों को भी। चाय का कप, खिड़की की पट्टी, दीवार की स्याही, घड़ी की टिक-टिक — ये सब सिर्फ़ वस्तुएँ नहीं, यादों के पात्र हैं।
यह संग्रह उन लोगों के लिए है —
जो मौन में भी संवाद खोजते हैं
जिनके पास कहने को बहुत कुछ है, सुनने वाला अब नहीं है
जो हर छोटी चीज़ में किसी अपने की छाया देख लेते हैं
"यादें" में कविताएँ सिर्फ़ शब्द नहीं, आत्मा के घाव पर रखे गए रेशमी पट्टे हैं।
हर कविता एक अनकही चिट्ठी है, एक अधूरी बात, एक स्मृति की सांस।
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