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मेरे दोहे (कल और आज)
सर्व प्रथम, मैंने इस पुस्तक में जो दोहे प्रस्तुत किए हैं जिसमें मैंने अपने पूर्वजों ( संत गुरु नानक देव जी, संत कबीरदास जी, संत रविदास जी आदि) की विचार धारों से प्रभावित होकर आज की विचारधाराओं के आधार पर एक प्रयास मात्र कोशिश की है।
मेरे ये दोहे किसी धर्म, जाति, संस्था, संसथान, राजनीति आदि को आहत पहुंचाने हेतु नहीं अपितु यह जन कल्याण के उत्थान के विकास को बढ़ावा देने के लिए मेरा एक प्रयास है।
इन दोहों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास मात्र ही मेरी लेखन में सफलता है।
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