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“जीवन दर्पण” में अनिल कुमार सहनी ने जीवन के विविध रंगों — खुशी, दुख, प्रेम, संघर्ष और आशा — को एक दर्पण की तरह दिखाया है, जिसमें हर पाठक खुद को कहीं न कहीं पहचान सकता है।
उनकी लेखन शैली सरल, स्वाभाविक और भावनाओं से भरपूर है, जो सीधे दिल को छू जाती है।
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