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पुस्तक परिचय – स्याही का सागर:
स्याही का सागर जीवन, संवेदनाओं और सृजन की उस गहराई का प्रतीक है, जहाँ शब्द सिर्फ लिखे नहीं जाते — जीए जाते हैं। यह पुस्तक कहानियों, विचारों और अनुभवों का ऐसा संग्रह है जो पाठक को भीतर तक झकझोर देता है।
हर कहानी में एक अलग लहर है — कहीं प्रेम की कोमलता, कहीं संघर्ष की लहरें, तो कहीं आत्म-खोज की गहराई। सहनी जी ने इस पुस्तक के माध्यम से दिखाया है कि स्याही सिर्फ कागज़ पर नहीं बहती, बल्कि मनुष्य के हृदय में भी अपनी छाप छोड़ जाती है।
स्याही का सागर हर उस पाठक के लिए है जो शब्दों में जीवन और जीवन में कविता खोजता है।
मुख्य भाव और विषय:
संवेदना • सृजन • आत्म-अभिव्यक्ति • जीवन दर्शन
भाषा:
सरल, सजीव और काव्यात्मक हिन्दी शैली, जिसमें विचार और भावना का सुंदर संतुलन है।
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