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आनन्द कुमार आशोवधिया एक सेवानिवृत्त भारतीय अर्धसैनिक बल (CISF) के अधिकारी हैं, जिन्होंने अपने सेवा-काल और पश्चात काल दोनों में समाज सेवा और सांस्कृतिक साहित्य को समर्पित किया। हरियाणवी भाषा, लोक-संस्कृति और सामाजिक विमर्श पर उनकी पकड़ बेहद सशक्त है।
उनका लेखन तकनीकी दक्षता, लोकभाषा की आत्मा, और सामाजिक चिंतन का अनोखा संगम है। उनकी रचनाएं छंद, संवेदना और संघर्ष से जुड़ी होती हैं। डिजिटल ब्रांडिंग, ऑडियो मास्टरिंग जैसे आधुनिक माध्यमों के जानकार होते हुए भी उन्होंने अपनी जड़ों और लोक-संवेदना को लेखनी का केंद्र बनाया।
वे हरियाणवी भाषा को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर निरंतर सक्रिय हैं। उनकी लेखनी न सिर्फ गहराई से सोचने को प्रेरित करती है, बल्कि समाज को सुधारने की एक शांत लेकिन ठोस पुकार भी देती है।
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