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कवि मित्रों! और सभी सामाजिक प्राणियों को मेरे काव्य का यह प्रथम काव्य खण्ड समर्पित है क्योंकि इसे रचने में मुझ को जो भी भाव मिला वह समाज से ही मिला और प्रेरणा भी समाज से ही मिली लेकिन मेरे सहपाठियों और गुरुओं ने भी जो कुछ काव्य के विषय में बताया और सिखाया उनके लिए मैं उन सभी का सदैव आभारी रहूंगा।
आप सभी काव्य प्रेमियों और पाठकों से मेरा निवेदन है कि जब भी आप इस काव्य का रंजन करें तब पूर्ण रूप से ही करें ; किसी पंक्ति का संकुचित रूप से अर्थ ना निकालें।
अंततः मैं आपकी ओर से कि गई आलोचना और निर्देशों कि प्रतीक्षा करूंगा। इस इलेक्ट्रॉनिक युगीन संसार में आप ट्विटर खाते @YuvaanAshish पर सीधे मुझे कोई निर्देश दे सकते हैं।
आशीष राजपूत
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