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SK-271 — एक फ्लाइट जो उड़ान तो भरती है,
लेकिन लौटती नहीं।
श्रेयपुर एयरपोर्ट से टेकऑफ़ के कुछ ही मिनटों बाद,
एक हादसा सब कुछ बदल देता है।
261 लोग, 260 ज़िंदगियाँ, 260 सपने —
एक पल में धुएँ और शून्य में खो जाते हैं।
पर कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती…
क्योंकि बचता है सिर्फ एक —
सीमांत कुमार,
जो ज़िंदा रहकर भी हर पल मरता है।
उसकी साँसों में अब 260 परछाइयाँ बसती हैं।
और वो हर रोज़ उनसे माफ़ी मांगता है…
यह सिर्फ़ एक फ्लाइट क्रैश की कथा नहीं है —
यह एक आत्मा की पुकार है,
जो मौत से ज़्यादा ज़िंदगी को महसूस करती है।
“260 परछाइयाँ ”
एक ऐसी यात्रा है —
जो उड़ान से नहीं,
अधूरे अलविदाओं से शुरू होती है।
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