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मीलों सफर मंजिल लापता (eBook)

Type: e-book
Genre: Poetry
Language: Hindi
Price: ₹54
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

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हमसफर मेरे मुझे तो वो जमाना चाहिये
आपको फिर से गले मुझको लगाना चाहिये

उठ रही है इक तडप दिल चाहता है रब मेरे
आज तो दिलदार का दीदार होना चाहिये

आसमां भी दे रहा है मौसम-ऐ-चेतावनी
कश्तियों को अब किनारे लौट आना चाहिये

रोज का ये आजमाना बन्द भी करदो कभी
हमसफर को इस तरह ना आजमाना चाहिये

हो रहा मायूस भँवरा तितलियां खामोश हैं
अब कली को मुस्कुराकर खिलखिलाना चाहिये

थक चुके हैं रास्ते और मंजिलें भी दूर हैं
मुश्किलों को देखकर क्या लडखडाना चाहिये

हिज्र की रातें तड़पती दिन गुजरते ही नहीं
सोचता हूँ क्या मुझे भूल जाना चाहिये

शायरी मैं लिख रहा हूँ आपको ही सोचकर
आपको भी गीत मेरा गुनगुनाना चाहिये

पत्थरों ने तोडकर शीशा-ए-दिल इतना कहा
संग दिल से ना किसी को दिल लगाना चाहिये

लौटकर पंछी चले हैं आशियाने को सभी
आपको भी दिल मेरे अब लौट आना चाहिये

About the Author

मैं सरकारी जॉब में हूँ । लेखन मेरा पैसन है । उपन्यास द्रोह ने अच्छी सफलता हासिल की उसके बाद मेरा लेखन अनवरत जारी है। गजल शायरी कविता लिखना मेरे शौक में शामिल । सोशल मीडिया पर आप मेरी कविता गजल के अनेंकों वीडियो देख-सुन चुके हैं। मैंने जीवन की यात्रा उस माहौल से शुरू की थी। जब आर्थिक रूप से एक बडी तंगी का वातावरण मेरे ऊपर हावी था। परन्तु मैंने कभी हार नहीं मानी मैंने अपनी यात्रा को सुखद अहसासों के साथ निभाया है।

Book Details

Number of Pages: 29
Availability: Available for Download (e-book)

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मीलों सफर मंजिल लापता

मीलों सफर मंजिल लापता

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