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इधर पिछले कुछ दिनों से मेरी पत्नी के मन में गुबार उठ रहा है कि मिट्टी के गुल्लकों की भी भला कोई उम्र होती है, जितने दिन जी गई बस उतनी ही होती है जिंदगी। जिस शरीर से हम इतना प्यार करते हैं जिसके लिये आज स्त्री पुरुष समान रूप से क्या कुछ नहीं करते कि वे जीवन पर्यंत ऐसे दिखें जिनके रूप की दुनिया गुणगान करे। आखिर यह रूप ही तो है जो स्त्री पुरुष के मध्य युग युगांतर से आकर्षण का केंद्र बिंदु रहा है। यह जानते हुए भी शारीरिक सुंदरता से अधिक कहीं आवश्यकता इस बात की होती है कि एक स्वस्थ रिश्ते के लिए स्त्री पुरुष दोनों के मन मिलने चाहिए।
इन्हीं प्रश्नों की तलाश ही इस कथानक की सूत्रधार बनने जा रही है जिसका पूरा श्रेय रमा के नाम।
तनिष्क जिसको अपने तन से इश्क हो उसे कहते हैं ‘तनिष्क’। नहीं जानता हूँ और न ही जानना चाहता हूँ कि शब्द ‘तनिष्क’ का साहित्य कोष में क्या अर्थ लिखा है। ‘तनिष्क’ का शाब्दिक अर्थ संधि विच्छेद कर जो बनता है, वह है ‘तन + इश्क़’।
मेरी पत्नी का मानना है जिसको अपने तन-मन अपने आस-पास की सभी चीजों से इश्क़ हो और वह जिन्दगी ज़िन्दादिली से जीना चाहता हो। इस जीवन में जो इतना घुल मिल जाए जिस सिर्फ हर चीज से इश्क़ हो और यह कथानक उस लड़की की है जो जिसका नाम है ‘तनिष्का’।
जब मुआमला तन-बदन अपने आस-पास के मसायल से जुड़ा हुआ हो तो कथानक की धमाकेदार शुरुआत करने के लिये भारत में ‘गवा’ से अच्छी लोकेशन और भला कौनसी हो सकती है? वैसे भी गोआ पर्यटन के आकर्षण के लिहाज़ से मेरा पसंदीदा स्थान रहा है। गोवा की फ़िज़ाओं में कुछ ऐसा है जो और कहीं नहीं है। ….और उस पर तुर्रा यह कि वहाँ एक खूबसूरत लड़की ‘तनिष्का’ आई हो जिसकी माँ उसे और खूबसूरत बनते हुए देखना चाह रही हो तो गोवा से बेहतर दूसरी लोकेशन हो ही नहीं सकती।
बस इन्ही सब विचारों को लेकर आज ही से ‘तनिष्क’ के लेखन का काम अपने हाथों में ले रहा हूँ। वैसे भी कल ही मेरा धारावाहिक ‘मामू सा’ जो कि फेसबुक पर पिछले डेढ़ महीने से कुछ ऊपर ही धूम मचा कर समाप्त हुआ है तो मन कुछ और करने को कर रहा है। मैं एक पल के लिये भी खाली नहीं बैठना चाहता हूँ, चूँकि निठल्ले बैठना न तो मेरी सीरत है और न ही मेरी कैफ़ियत। देखता हूँ कि ‘तनिष्क’ की शुरुआत किस तरह से होती है। अबकी बार मन कुछ तूफानी करने को कर रहा है। यह देखना इंटरेस्टिंग होगा कि इस कथानक की शुरुआत भला कैसी हो? बहरहाल जैसी भी हो यह मेरा दावा है कि अन्य कथानकों की तरह यह कथानक भी ऐसा होने वाला है जिसे आपने अगर एक बार छू भर दिया तो आप उसे अंत तक पढ़ने को बाध्य होंगे।
मुझे बस इस कथानक का पहला एपिसोड लिख लेने भर दीजिये और वह अगर मेरी पत्नी ने अनुमोदन कर दिया तो समझ लीजिए कि कुछ अज़ब-ग़ज़ब ही होने वाला है।
शुभकामनाओं सहित,
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