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बाल मन अबोध होता है। कच्ची मिट्टी की तरह,एक कुशल शिल्पी ही उसे सुघड़ रुप दे सकता है।अभिभावक और शिक्षक ही बच्चों में अच्छे संस्कार भर सकते हैं,उनकी चेतना परिष्कृत कर सकते हैं।इसी लक्ष्य को ले कर ये बाल कथा में लिखी गई हैं।
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