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बहुत दिनों से इच्छा थी कि सीता जी पर कुछ लिखूं।जब भी रामायण पढ़ती जनक नन्दनी का चरित्र मेरे समक्ष एक प्रश्न बन कर खड़ा हो जाता कि उनके साथ उस युग में ऐसा क्यों हुआ।
अग्नि परीक्षा देने के बाद भी पुरुष समाज ने स्त्री होने का दंड दिया सीता माता को।
उन परिस्थितियों में उनकी मनोस्थिति क्या और कैसी रही होगी इसी को चित्रित करने का एक छोटा सा प्रयास किया है मैंने।
Very beautifully depicted the mental state and emotions of Mother Sita !! Read many times and each time I am mesmerised with the selection of appropriate words and binding of thoughts !! Must read !!
Thought Provoking
ओमलता जी ने इस कविता में सीता जी की मन:स्थिति का बहुत मर्मस्पर्शी चित्रण किया है. आज के समय में भी यह घटना उतनी ही प्रासंगिक है.
कविता मन में अनेक प्रश्न खड़े करती है. बहुत ही अच्छा लेखन