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दो शब्द---'मानव मन सदैव मानवीय मूल्यों के प्रति आकर्षित होताहै,यह युग की विडम्बना है कि ईर्ष्या, क्रोध, मोह, लोभ और वैमनस्य के वशीभूत होकर जगद्गुरु कहलाने वाला यह देश आज उन मूल्यों की अवहेलना कर रहा है।फिरभी मनुष्य की आत्मा उसका उचित मार्गदर्शन करती है।उन्ही मानव मूल्यों को परिभाषित करने का प्रयास करता है यह मेरा कथा संग्रह। ---ओमलता अखौरी
पति और बच्चों को समर्पित
जिन्हों ने लिखते रहने के लिये सदैव प्रोत्साहित किया-------ओम लता अखौरी
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