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शीर्षक: लोकनायक महावीर लोरिक
उप शीर्षक: प्रेम और पराक्रम की अमरगाथा
लेखक: कपिल यादव "निष्क"
यह कहानी एक चरवाहे की है जिसने अपने बाहुबल और क्रांतिकारी विचारों से एक साम्राज्य को चुनौती दी। लोरिक ने न केवल क्रूर सामंत मोलागत को हराया, बल्कि प्रेम और विवेक के बल पर एक नया समाज, "लोक-धर्म" की स्थापना की।
महावीर लोरिक की यात्रा केवल युद्ध की नहीं है:
वह जाति और पितृसत्तात्मक रूढ़ियों (विधवा पुनर्विवाह, अंतरजातीय प्रेम) को तोड़कर सामाजिक न्याय का प्रतीक बनता है।
उसका प्रेम (मंजरी) उसकी कमजोरी नहीं, बल्कि लोक-कर्तव्य की सबसे बड़ी शक्ति है।
यह उपन्यास सिखाता है कि असली पराक्रम हथियार उठाना नहीं, बल्कि अपने ही समाज की जड़ हो चुकी रूढ़ियों को प्रेम और विवेक से तोड़ना है।
क्या आप उस नायक की अमरगाथा के साक्षी बनने को तैयार हैं, जिसने प्रेम को ही सबसे बड़ा धर्म बना दिया?
लोकनायक महावीर लोरिक: प्रेम और पराक्रम की अमरगाथा
“लोकनायक महावीर लोरिक: प्रेम और पराक्रम की अमरगाथा” एक बेहद रोचक और भावनाओं से भरी किताब है जो लोकनायक महावीर लोरिक की वीरता और प्रेम की कहानी को खूबसूरती से सामने लाती है। पढ़ते समय ऐसा लगता है जैसे हम खुद उस दौर में पहुँच गए हों जहाँ साहस, सम्मान और सच्चे प्रेम का बोलबाला था। लेखक ने लोककथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं को इतने सहज तरीके से जोड़ा है कि कहानी दिल को छू जाती है। भाषा सरल और जीवंत है, जिससे हर पाठक आसानी से जुड़ सकता है। यह किताब सिर्फ एक योद्धा की कहानी नहीं, बल्कि इंसानियत, समर्पण और सच्चे प्रेम की मिसाल है — जो इसे पढ़ने लायक बनाती है।