Description
कपिल यादव “निष्क” बहु-विषयी पृष्ठभूमि वाले संवेदनशील रचनाकार हैं। आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) से बी.एससी. एवं एम.एससी. (फोरेंसिक साइंस) की पढ़ाई की है, साथ ही बी.एड. और एम.ए. (भूगोल) की डिग्रियाँ भी प्राप्त की हैं। विज्ञान, अपराध-विज्ञान और मानवीय भूगोल का यह संगम आपकी रचनाओं को विशिष्ट दृष्टि प्रदान करता है।
आपकी प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ हैं:
*लोकनायक महावीर लोरिक: प्रेम और पराक्रम (उपन्यास)
*मस्ती और सीख (बाल कविता-संग्रह)
*माटि सँ महकैत: मिथिला-बिहारक कविता (कविता-संग्रह)
“सांझ के बाद: सेवानिवृत्ति की नई यात्रा” में आप रिटायरमेंट के बाद के जीवन को सरल भाषा, यथार्थपरक चित्रण और भावनात्मक गहराई के साथ प्रस्तुत करते हैं, जहाँ लोकजीवन, समकालीन समाज और मानवीय संवेदना स्वाभाविक रूप से एक साथ दिखाई देते हैं।
सांझ के बाद: सेवानिवृत्ति की नई यात्रा एक संवेदनशील उपन्यास है, जो रिटायरमेंट के बाद शुरू होने वाले खालीपन, पहचान के संकट और नई संभावनाओं की तलाश को चित्रित करता है।
कहानी एक ऐसे नायक की है, जो पद और कुर्सी से अलग होने के बाद अपने बदलते हुए “अस्तित्व के भूगोल” को समझने की कोशिश करता है—दफ़्तर से घर, शहर से गाँव, फाइलों से बच्चों की पाठशाला और आदेश देने की कुर्सी से रिश्तों में साझेदारी तक।
“नई सुबह – रिटायरमेंट के बाद पहला अहसास”, “फ़िक्र की भागीदारी”, “माटी और बच्चों की पाठशाला” और “अधूरी ख्वाहिशों का उजाला” जैसे अध्यायों के माध्यम से उपन्यास दिखाता है कि सेवानिवृत्ति केवल विदाई नहीं, बल्कि अपने आप से, अपने लोगों से और अपनी अधूरी ख्वाहिशों से दोबारा मिलने की एक नई शुरुआत भी हो सकती है।
यह पुस्तक न केवल रिटायर हो चुके या होने वाले लोगों के लिए, बल्कि उनके परिवार और आसपास के समाज के लिए भी एक आईना है, जो याद दिलाती है कि व्यक्ति की असली पहचान कुर्सी से नहीं, उसके रिश्तों और संवेदनाओं से बनती है।
प्रेरणादायक और भावनाओं से भरी
सेवानिवृत्ति जैसी चीज़ को आमतौर पर लोग अंत मानते हैं, लेकिन लेखक ने इसे एक नई यात्रा के रूप में बहुत खूबसूरती से दिखाया है। पढ़ते समय कई जगह आंखें नम हो गईं। शानदार लेखन।