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दरिया को मीठा रहना था (eBook)

कविता संग्रह
Type: e-book
Genre: Poetry
Language: Hindi
Price: ₹100
(Immediate Access on Full Payment)
Available Formats: PDF

Description

कभी कभी हम कुछ करते नहीं हैं , बस कुछ हो जाता है , यह पुस्तक कुछ ऐसी ही है । आज सुबह ही लिखते लिखते इतनी कवितायें हो गईं की मन में आया एक छोटी पुस्तक के रूप में रचनाओं को सम्हाल दूँ । बस पिछले कुछ दिनों के काम यहाँ इकट्ठा कर के रख दिये । अपनी रचनाओं के विषय में न पहले कभी निर्णय किया है और न आज करने जा रहा हूँ । मैंने क्या लिखा है , कैसा लिखा है और यह किस सीमा तक पाठक के हृदय तक पहुंचेगा इसका निर्णय समीक्षक और पाठक ही करेंगे । श्रोताओं ने मेरे इस प्रयास और ऐसे लेखन को बहुत प्यार दिया है ।

About the Author

नाम: मुरली मनोहर श्रीवास्तव
पिता का नाम: श्री विजय कुमार श्रीवास्तव ( लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार इलाहाबाद)
जन्मस्थान: इलाहाबाद
अध्ययन : बी.ई. मैकेनिकल इंजीनियरिंग (जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली से)
प्रकाशन : नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान दैनिक, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा,

नई दुनिया, मेरे सहेली, जागरण सखी सहित विभिन्न दैनिक व पत्रिका में एक हज़ार से अधिक रचनाएँ
प्रकाशित तथा निरंतर प्रकाशन जारी है।
अभी तक लिखी कहानियाँ मेरी सहेली, जागरण सखी व दैनिक जागरण जैसी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।
व्यंग्य लेखक के रूप में विशिष्ट पहचान हिन्दी की सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। अमर उजाला व राष्ट्रीय सहारा
में नियमित कॉलम।
वर्तमान में एन टी पी सी मेजा में उप महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत

पुस्तकें :
1. सत्य जीतता है (हिन्दी अकादमी दिल्ली से प्रकाशित),
2. सम्भावना (साहित्य वीथी दिल्ली से प्रकाशित, वर्ष -2017 फ़्लिप कार्ट व अमेज़न दोनों पर उपलब्ध)
3. Posibility ( English translation of Sambhavana By Deepak Danish )on kindle
4 . गुरु गूगल दोऊ खड़े pustakbazaar.com द्वारा प्रकाशित
5 . क्षमा करना पार्वती pustakbazaar.com द्वारा प्रकाशित
6 . ख्वाबों की जिंदगी और 63 कविता
7. वह मैं हूँ
8.घोडा ब्रांड क्रिकेटर मेरे 71 व्यंग्य
9. दर्द और ख्वाब
10. दर्द के इम्यूनिटी बूस्टर्स
11. फ़रिश्ते
12.चाँद पर राइटर पेंटर और आर्टिस्ट भेजें
13. मुरली की दुनियां
14. जीत गए तुम
15. कुछ तो कहता हूँ
संप्रति : हर समय कुछ करते रहने की इच्छा का बने रहना व पाठकों द्वारा प्रदान किए जाने वाला स्नेह ही मेरे लिखने का आधार है ।

Book Details

Publisher: Self
Number of Pages: 56
Availability: Available for Download (e-book)

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दरिया को मीठा रहना था

दरिया को मीठा रहना था

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