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कहते हैं कि प्राचीन रामनगर में बने मंदिरों का इतिहास पानी के बुलबुले के समान विशाल बाणसागर में समा गया। रामनगर के साथ-साथ अंचल के लगभग 75 ग्राम पूरी तरह से इस परियोजना के आँचल में सिमट गये जिनका नाम वर्तमान में केवल कागजों तक सिमट कर रह गया है।
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