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यह एक हिंदी कविता रचना संग्रह है | लेखक के विचारों की पराकाष्ठा उसके द्वारा दिए गए छंदों एवं मुक्तकों से हो जाती है |
आज के बदलते परिप्रेक्ष्य एवं अनियंत्रित सामजिक विचारधाराओं का विश्लेषण एवं मानवीय भावनाओं के सृजन एवं मंथन का विशेष ध्यान रखा गया है |
काव्य, कविता या पद्य, साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। भारत में कविता का इतिहास और कविता का दर्शन बहुत पुराना है। इसका प्रारंभ भरतमुनि से समझा जा सकता है। कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों की शृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है।
काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो अर्थात् वह जिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है। रसगंगाधर में 'रमणीय' अर्थ के प्रतिपादक शब्द को 'काव्य' कहा है। 'अर्थ की रमणीयता' के अंतर्गत शब्द की रमणीयता (शब्दलंकार) भी समझकर लोग इस लक्षण को स्वीकार करते हैं। पर 'अर्थ' की 'रमणीयता' कई प्रकार की हो सकती है।
इससे यह लक्षण बहुत स्पष्ट नहीं है। साहित्य दर्पणकार विश्वनाथ का लक्षण ही सबसे ठीक जँचता है। उनके अनुसार 'रसात्मक वाक्य ही काव्य है'। रस अर्थात् मनोवेगों का सुखद संचार ही काव्य की आत्मा है।
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