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बेज़ार नज़रों से देख तू
ज़िंदगी और मौत की रवानी
शहसवार
ना ठहर, बस कर रवानी!
विलियम बटलर यीट्स, जो आयरलैंड में ऐंग्लो-आयरिश माता-पिता के यहां पैदा हुए थे, बीसवीं सदी के सबसे महान कवियों में शुमार किए जाते हैं। एक कवि और रुहानी नज़रिया रखने वाले शख़्स के तौर पर, उनका जुड़ाव हमेशा आयरलैंड की अबदी ख़ूबसूरती से रहा — जो इंग्लैंड के बदलते समाजी निज़ाम के बरअक्स कहीं ज़्यादा स्थायी थी।
यीट्स की कविताएं के अहम मौज़ू हैं — आयरिश क़ौमी जज़्बा (Irish nationalism), सेल्टिक मिथक (Celtic mythology), मोहब्बत, बुज़ुर्गी (aging) और रुहानियत (mysticism)। मगर इनमें से आखरी — यानि रूहानियत — उनकी तमाम तहरीरों में जैसे एक रेशा बनकर रच-बस जाती है।
जैसा कि उन्होंने खुद लिखा था:
"रूहानी ज़िंदगी ही मेरी सोच, मेरी तख़लीक़ और मेरी हर जुंबिश का मरकज़ है।"
1923 में यीट्स को अदब के लिए नोबेल इनाम से नवाज़ा गया।
इस संग्रह में उनकी कुछ चुनी हुई कविताओं का हिंदी/ हिंदुस्तानी में अनुवाद और भावानुवाद शामिल है।
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